एकै खड़े रोवै एकै बसन निचोवैं एकै
ekai khaDe rowai ekai basan nichowain ekai
बेनी बेंतीवाले
Beni Bentivale
एकै खड़े रोवै एकै बसन निचोवैं एकै
ekai khaDe rowai ekai basan nichowain ekai
Beni Bentivale
बेनी बेंतीवाले
और अधिकबेनी बेंतीवाले
एकै खड़े रोवै एकै बसन निचोवैं एकै,
जखम को टोवैं देखि देह थहराति है।
एकै लेत थाहै ऊँची करि-करि बाँहैं एकै,
ज़ोर को उगाहै ना जुगुति ठहराति है॥
बेनी कवि कहै और कहाँ लौं बखान करौं,
ऐसेई सकल मुसकिल दिन राति है।
एकै फँसे कटि लगि एकै गिरवान लगि,
आप गर काप शिखा साफ़ फहराति है॥
- पुस्तक : साहित्य प्रभाकर (पृष्ठ 358)
- संपादक : महालचंद बयेद
- रचनाकार : वेनी बेंतीवाल
- प्रकाशन : ओसवाल प्रेस कलकत्ता
- संस्करण : 1937
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