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अंग अलसाने पियराने थहराने पग

ang alsane piyrane thahrane pag

गोकुलनाथ

गोकुलनाथ

अंग अलसाने पियराने थहराने पग

गोकुलनाथ

और अधिकगोकुलनाथ

    अंग अलसाने पियराने थहराने पग,

    ठहराने परत सु डग मग में है ना।

    छाई कुच स्यामताई चीकनाई केसन में,

    नौबी उकसौंही भई त्रिबली उचौहैं ना॥

    गोकुल कहत लाल लहैगी सलोनी चढ़ि,

    याके तन औरे चारुताई चित ऐंचै ना।

    ढरकि सी भौंहै परी भरी भार लाजन के,

    हरकि गई सी गति गदरावने नैना॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : चेतचंद्रिका (पृष्ठ 139)
    • रचनाकार : गोकुलनाथ
    • प्रकाशन : भारतजीवन प्रेस, बनारस
    • संस्करण : 1894

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