Font by Mehr Nastaliq Web

ज़्यादातर मैं सत्तर के दशक में रहा करती हूँ

zyadatar main sattar ke dashak mein raha karti hoon

विपिन चौधरी

विपिन चौधरी

ज़्यादातर मैं सत्तर के दशक में रहा करती हूँ

विपिन चौधरी

और अधिकविपिन चौधरी

    सत्तर की फ़िल्मों का दिया भरोसा कुछ ऐसा है कि

    मैं अपने कंधे पर पड़े अकस्मात

    धौल-धप्पे से चौंकती नहीं हूँ

    भीड़ भरे बाज़ार में

    बरसों बिछड़ी सहेलियाँ मिल जाया करती हैं

    खोई मोहब्बत दबे पाँव धमकती है

    पीले पड़ चुके पुराने प्रेम-पत्रों में

    उस दौर की फ़िल्मों ने अपने पास बैठा कर यही समझाया

    भरे-पूरे दिन के बीचोबीच

    बदन पर चर्बी की कई तहें ओढ़े

    एक स्त्री मुझे देख कर तेज़ी से क़रीब आती है

    और टूट कर मिलती है

    मुड़ कर थोड़ी दूर खड़े अपने शर्मीले पति से कहती है :

    'सुनो जी मिलो मेरे बचपन की अज़ीज़ सहेली से'

    और मैं हूँ कि

    अपने पुराने दिनों में लौटने के बजाय

    बासु दा की फ़िल्म के उस टुकड़े में गुम हो जाती हूँ

    जहाँ दो पुरानी सहेलियाँ गलबहियाँ डाले भावुक हो रही हैं

    बस स्टॉप पर 623 नंबर की बस का इंतज़ार करते वक़्त

    अमोल पालेकर तो कभी विजेंदर घटगे नुमा युवक अपने पुराने मॉडल का

    लम्ब्रेटा स्कूटर

    मेरी तरफ़ मोड़ते हुए लगा है

    फ़िल्म 'मिली' के भोंदू अमिताभ का

    मिली 'कहाँ मिली थी' वाला वाक़या आज भी साथ चलता है

    ताज्जुब नहीं,

    डिज़ाइनर साड़ियों के शोरूम में

    (विद्या सिन्हा की ट्रेडमार्क) बड़े-बड़े फूलों वाली साड़ियाँ तलाशने लगती हूँ

    'मूँछ-मुंडा' शब्द पर बरबस ही उत्पल दत्त सामने मुस्तैद हो जाते हैं

    भीड़ में सिगरेट फूँकता

    दुबला-पतला दाढ़ीधारी आदमी दिनेश ठाकुर का आभास देने लगता है

    हर साल सावन का महीना

    'घुँघरुओं-सी बजती बूँदें...' की सरगम छेड़ देता है

    और मैं 1970 को रोज़ थोड़ा-थोड़ा जी लेती हूँ

    श्याम बेनेगल की नमकीन काजू भुनी हुई फ़िल्में

    देर रात देखती हूँ

    मेरी हर ख़ुशी का रास्ता उन्नीस सौ सत्तर से होकर आता है

    अपने हर दुख की केंचुली को

    उस पोस्टर के नीचे छोड़ आती हूँ

    जहाँ 'रोटी कपड़ा और मकान' के पोस्टर में मनोज कुमार मंद-मंद मुस्कुराते

    हुए खड़े हैं

    और नीचे लहरदार शब्दों में लिखा है

    'मैं भूलूँगा इन रस्मों इन क़समों को...'

    गायक, मुकेश!

    स्रोत :
    • रचनाकार : विपिन चौधरी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए