एक इच्छा चूड़ियों में
एक इच्छा लड़की की चूड़ियों में चलती है
पहले वह टूटें उसके बिस्तर पर
फिर टूटें उसकी चौखट पर
लेकिन चौखट पर क्यों?
क्योंकि लड़की के भीतर एक शोकमयी औरत है
और जो विधवा है
है नहीं लेकिन
हो जाएगी जो
लड़की का डर उसकी धमनियों से काँपता
चूड़ियों तक चलता है
काँपती है उनमें लड़की की इच्छा
काँपता है उनमें लड़की का शोक
शोक?
आदमी कहाँ है लड़की का?
आदमी जिसका मातम उसकी धमनियों में है
और इच्छा जिसकी उसकी चूड़ियों में
आदमी उसका फँसा है
किसी दूसरी देह में
किसी दूसरे सपने में,
दूसरे दुख, दूसरे आँसू में
उसका हर दुख, सपना, आँसू
लड़की की मातमी पकड़ से परे है...
लेकिन लड़की तो लड़की है
उसमें वही आदिम भोलापन
पागलपन, मरनपन भरा है
जिसकी सज़ा
किसी आने वाले कल
वह उस आदमी को देगी
जब तोड़ेगी अपनी चूड़ियाँ...
- पुस्तक : एक दिन लौटेगी लड़की (पृष्ठ 15)
- रचनाकार : गगन गिल
- प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
- संस्करण : 1989
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