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गुलाब-युद्ध

gulab yuddh

मक्सिम रिल्स्की

मक्सिम रिल्स्की

गुलाब-युद्ध

मक्सिम रिल्स्की

और अधिकमक्सिम रिल्स्की

    (तेज़ बरसात ने तरबतर कर दिया सारे मैदान को इवान बूनिन)

    तेज़ बरसात ने तरबतर कर दिया

    सारे मैदान को

    चिउरा एक टहनी पर

    सुखा रहा अपने को

    मधुर गंध आती है घास से

    अबाबील

    पर जिसके निकले हैं हाल में

    उड़ने की कोशिश है कर रहा नीड़ से

    कन्या किसान की

    बेले अँगूर की बाँध रही टेक से

    जाने किस बात पर हँसती है धीरे से

    क्या कुछ ज़रूरत है इसको बताने की

    धूप आनंद और वर्षा से भीगकर

    लाल सुरा-बूँदों से चमक रहे

    पोस्त-फूल किरमिजी

    पोर्च तले खड़ा हुआ देख रहा

    मनभावन दृश्य है

    नदी के पार से तैर कर रहे गीत हैं

    रक्तहीन युद्ध एक चल रहा सदैव से

    श्वेत और लाल गुलाबों के बीच में।

    स्रोत :
    • पुस्तक : एक सौ एक सोवियत कविताएँ (पृष्ठ 116)
    • रचनाकार : मक्सिम रिल्स्की
    • प्रकाशन : नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली
    • संस्करण : 1975
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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