स्त्री-विषयक कविताओं से ऊबकर
istri wishayak kawitaon se ubkar
एक
एक स्त्री का प्यार
आपको तमीज़दार बनाता है—
अगर निबाहने की सलाहियत हो
आप जब भी बाहर निकलते हैं
आपकी किरच टाइट मिलती है
इसलिए इस्तरी से प्रेम करिए
और बहुत देर तक
प्लग लगाकर न छोड़िए।
दो
एक स्त्री का प्यार
उजड़े हुए उनींदे बिस्तर-सा है
वहाँ आओ बहुत मद्धम
अर्द्धरात्रि में यमन की तरह
ग़लत राग का छिड़ जाना
आस्वाद को बिगाड़ देता है।
तीन
एक स्त्री का प्यार
चकले पर घूमती रोटी-सा है
उसकी सुंदरता को पाना है तो
बेलन हल्के हाथ पकड़ो
अतिरिक्त पौरुष दिखाने से
विकृतियाँ ही हाथ लगती हैं।
चार
एक स्त्री का प्यार
तपते हुए जेठ-सा है
जिसके पास आर्द्रा नक्षत्र की
पहली बरसात की तरह जाओ
जिससे उठती महक ही
उसे पाने की पहचान बने।
पाँच
एक स्त्री का प्यार
सुबह-सुबह डाल से चुआ महुआ है
जिसे बहुत सँभालकर उठाना है
बेसबरों को जो कभी साबुत नहीं मिलता।
- रचनाकार : अखिलेश सिंह
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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