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पत्नी के लिए

patni ke liye

अरुण देव

अन्य

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अरुण देव

पत्नी के लिए

अरुण देव

और अधिकअरुण देव

    वह आँच नहीं हमारे बीच

    जो झुलसा देती है

    वह आवेग भी नहीं जो कुछ और नहीं देखता

    तुम्हारा प्रेम जलधार जैसा

    तुम्हारा प्रेम बरसता है

    और कमाल की जैसे खिली हो धूप

    तुम्हारा घर

    प्रेम के साथ-साथ थोड़ी दुनियावी ज़िम्मेदारियों से बना है

    कभी आटे का ख़ाली कनस्तर बज जाता है

    तो कभी बिटिया के इम्तिहान का रिपोर्ट-कार्ड बाँचने बैठ जाती हो

    तुम्हारे आँचल से कच्चे दूध की गंध आती है

    तुम्हारे भरे स्तनों पर तुम्हारे शिशु के गुलाबी होंठ हैं

    अगाध तृप्ति से भर गया है उसका चेहरा

    मुझे देखता पाकर आँचल से उसे ढँक लेती हो

    और कहती हो नज़र लग जाएगी

    शायद तुमने पहचान लिया है मेरी ईर्ष्या को

    बहुत कुछ देखते हुए भी नहीं देखतीं तुम

    तुम्हारे सहेजने से है यह सहज

    तुम्हारे प्रेम से ही हूँ इस लायक़ कि कर सकूँ प्रेम

    कई बार तुम हो जाती हो अदृश्य जब

    भटकता हूँ किसी और स्त्री की कामना में

    हिंस्र पशुओं से भरे वन में

    लौटकर जब आता हूँ तुम्हारे पास

    तुम में ही मिलती ही वह स्त्री

    अचरज से भर उसके नाम से तुम्हें पुकारता हूँ

    तुम विहँसती हो और कहती हो यह क्या नाम रखा तुमने मेरा

    स्रोत :
    • रचनाकार : अरुण देव
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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