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वन्या

wanya

अनुपम सिंह

और अधिकअनुपम सिंह

    मेरे देह की तरलता और लौकिक कामनाएँ

    दिशा दिखा रही थीं

    कामनाओं की जड़ें

    कोसों तक फैली थी जंगल में

    अपनी गहन सुगंध से माया रचती

    ज़िद कर रही थीं भीतर उतरने को

    संभोग की उद्दाम कामना के बाद भी

    मेरी आँखों में रुपहली लज्जा थी

    और देह किसी अंतर प्रवाही विद्युत के समान

    झंकृत हो रही थी

    जंगल की हज़ार अतृप्त कहानियाँ धड़क रही थीं

    अकेले इस हृदय में

    जंगल की बेतरतीब जड़ों के बीच

    हमनें अपना आसन जमाया

    अवनत हो खड़ी हो गई थीं मुद्राएँ

    सृष्टि देखने के उल्लास में खिल गए आकाश के रोमछिद्र

    भरभरा के निकल रहे थे तारागण

    देह की घुमावदार नदी बह रही थी

    चाँद सिरहाने का तकिया बनने

    उतर आया था जंगल की जड़ों में

    नदी और चाँद की आभा में डूब गई थी

    प्रत्यंचा-सी खिली देह

    जंगली फूलों के बीच

    मेरी जंगली देह

    उस साँझ मैंने जड़ों में छुपा पाया बसंत

    बसंत बीतता नहीं

    जाकर छुप जाता है जड़ों में

    उस साँझ जंगल से एक-एक कर

    निकल आईं सभी ऋतुएँ

    समा गईं मेरी देह में

    वह आकाश पर झुकी एक साँझ थी

    देह पर पर्दा था साँझ पर

    आकाश को सीधे भेद रहीं थीं मेरी दो आँखें

    जंगल का कोलाहल मेरी धड़कनों पर

    अनहद की तरह बह रहा था

    संभोग की चमक से पराजित एक बिच्छू

    अपना डंक उठाए गुज़र गया था मेरी नाभि प्रदेश से

    आँखों में उजास लिए जंगल में उतर रही थी रात

    शीतल करने मेरी देह

    जंगल में उतरीं आकाश गँगाएँ

    फिर दुग्ध-मेखलाएँ

    मेरी तन्मयता ने तोड़ दिए थे क़रार के सारे नियम

    बस! देह थी, जंगल था, साँझ थी।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनुपम सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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