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तुम्हारा होना

tumhara hona

पंकज प्रखर

पंकज प्रखर

तुम्हारा होना

पंकज प्रखर

और अधिकपंकज प्रखर

    तमाम अनिश्चितताओं के बीच

    तुम्हारा होना निश्चित है

    ठीक वैसे ही जैसे

    हर एक चीज़ की जगह निश्चित है।

    जीवन विविध रंगों में रचा-बसा

    गुलदस्ते-सा

    मगर हमारे हिस्से

    तुम्हारे सरीखे फूल नहीं आए।

    मैं तुम्हारे होने भर की कल्पना से

    इस घटती-बढ़ती दुनिया में

    ख़ुद को देखता हूँ

    चुपचाप खड़े गर्वीले पहाड़-सा।

    किसी के होने होने की उम्मीद

    आदमी के दुःख का कारण है।

    मैं इस दुःख से कितना ख़ुश हूँ।

    तुम्हारी एड़ियों में अपने अक्ष पर

    घूमती धरती की जटिल परिभाषाएँ हैं

    तुम्हारी ख़्वाब-सी आँखों में

    इस धरती के होने की संभावनाएँ हैं

    तुम्हारी मुस्कुराहट में

    फूलों के होने की बात स्वीकृत है।

    यह शहर तुम्हारे होने के

    ख़याल भर से

    शहर-सा है।

    दुनिया भर की भीड़ से भरा हुआ

    बड़ा चौराहा भला कब?

    कब?

    किसी के होने से सिकुड़ गया था!

    सड़क पर कब गुलाबी मौसमों में

    उड़ते रंगीन ग़ुब्बारे फूल सरीखे

    बच्चों के साथ खेले हैं!

    इस सर्द मौसम में कब फुहारें

    किसी को छूने को मचली है।

    तुम्हारा होना

    तमाम अनिश्चितताओं के बीच

    सब कुछ होने की संभावना है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : पंकज प्रखर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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