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टुकड़ों का योग : मैं

tukDon ka yog ha main

आसित आदित्य

आसित आदित्य

टुकड़ों का योग : मैं

आसित आदित्य

और अधिकआसित आदित्य

    नींद की लहरों पर हिचकोले खाते मेरे स्वप्न में

    एक बरसाती रात है

    एक सुनसान गली है

    और उस गली के अंतिम छोर पर है—

    एक उजाड़ लैम्पपोस्ट।

    नीली छतरी वाली एक लड़की अक्सर

    बरसाती रात में उस लैम्पपोस्ट के नीचे आती है

    और सुनसान गली में बिछ जाता है उसके प्रेमी का इंतज़ार।

    घरवालों के तानों से छलनी अपनी मुट्ठी में अपनी आत्मा लिए

    अक्सर आता आँखों के नीचे निशानों वाला एक लड़का।

    वह लैम्पपोस्ट के नीचे सिगरेट सुलगाता है

    विचारों के प्रेतों के सहारे आत्महत्या की रणनीति बनाता है।

    कभी-कभी जब भौंकते हैं गली के आवारा कुत्ते

    ख़ून सने कपड़ों में एक शख़्स दौड़ते हुए आता है

    और लैम्पपोस्ट से ख़ुद को टिका रोता है फफक-फफककर।

    (ये वो है जिसने अपनी पत्नी और उसके प्रेमी की हत्या कर दी।)

    मैं कहाँ हूँ?

    नहीं, अपने स्वप्न में बिल्कुल नहीं।

    मैं नीली छतरी वाली लड़की के इंतज़ार में हूँ,

    मैं उदास लड़के के आत्महत्या की रणनीति में हूँ,

    मैं ख़ून सने कपड़ों वाले क़ातिल के आँसुओं में हूँ।

    आदम का वंशज मैं,

    बना हूँ मानुष जोड़-जोड़कर टुकड़े सबके।

    स्रोत :
    • रचनाकार : आसित आदित्य
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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