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मैं कलुआ माँझी हूँ

main kalua manjhi hoon

रमणिका गुप्त

रमणिका गुप्त

मैं कलुआ माँझी हूँ

रमणिका गुप्त

और अधिकरमणिका गुप्त

    मैं क्रांति चाहता हूँ तो

    तुम हिंसा कहते हो

    मैं इंक़लाब माँगता हूँ तो

    तुम एडवेंचरिस्ट कहते हो

    मैं अन्याय का विरोध करता हूँ

    उसका सिर कुचलता हूँ

    तो तुम मुझे नक्सलवादी कहते हो

    मैं समता की बात करता हूँ

    सपनों को याद रखता हूँ

    तो तुम मुझे लोहियावादी कहते हो

    मैं तो वही हूँ

    तुम रोज़ बदलते हो

    मुझे परखने के लिए

    दृष्टिकोण बदलना होगा

    मुझे जानने के लिए

    मेरी आँखों से देखना होगा

    मेरी आँतों में सिमट

    भूख से बिलखना होगा

    मेरे अँधेरे घर में

    जुगनू की रोशनी में

    मेरे बर्तनों की खनक में

    उनकी टूट को पहचानना होगा

    मेरी चमकती पुतलियों में

    भाँपना होगा इंक़लाब की आग को

    तब तुम जान पाओगे

    कि मैं क्या हूँ

    कौन हूँ

    ऐसे लोग मुझे कलुआ माँझी कहते हैं

    कृष्ण का रंग पाया है

    पर अर्जुन का गांडीव धरता हूँ

    अभी कुछ चुप हूँ

    समय का इंतज़ार करता हूँ

    एक दिन मैं ‘बड़वा’ बन

    सबको समेट लूँगा

    अगस्त्य-सा

    सागर को लील लूँगा

    क्रांति देने वाले और भोगने वालों को

    मुंडमाल में पिरो

    गले में पहन लूँगा

    तब मैं

    कुछ और कहलाऊँगा

    अभी तो केवल रोटी माँगता हूँ

    पेट भर!

    स्रोत :
    • पुस्तक : आदिवासी कविताएँ (पृष्ठ 13)
    • रचनाकार : रमणिका गुप्ता
    • प्रकाशन : बोधि प्रकाशन
    • संस्करण : 2016
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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