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आसमान जैसी हवाएँ

asman jaisi hawayen

आलोकधन्वा

आलोकधन्वा

आसमान जैसी हवाएँ

आलोकधन्वा

और अधिकआलोकधन्वा

    समुद्र

    तुम्हारे किनारे शरद के हैं

    और तुम स्वयं समुद्र

    सूर्य और नमक के हो

    तुम्हारी आवाज़

    आंदोलन और गहराई की है

    और हवाएँ

    जो कई देशों को पार करती हुई

    तुम्हारे भीतर पहुँचती हैं

    आसमान जैसी हैं

    तुम्हें पार करने की इच्छा

    अक्सर नहीं होती

    भटक जाने का डर बना रहता है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दुनिया रोज़ बनती है (पृष्ठ 70)
    • रचनाकार : आलोकधन्वा
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2015

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