उसकी शवयात्रा पर
uski shawyatra par
मैं नहीं जुड़ा था उससे
और उसकी शवयात्रा पर रो रहा था
वह चला गया था
और मुझे लगता था कि वह आएगा
वह आएगा तो ऐसे नहीं जैसे
जा रहा था
वह जा रहा था तो फिर वैसे आएगा
जैसे कभी आया था
वह कहीं भी आएगा
सुदूर रेगिस्तान में, पठार में, मैदान में,
क्षितिज में, समुद्र या बियाबान में
होगा, उससे मिलना होगा
न मिलना हुआ अगर
इस आशंका में रो रहा था
मिलकर फिर चला जाएगा कभी
इस डर से फिर-फिर रो रहा था
बहरहाल, मैं नहीं जुड़ा था उससे
और उसकी शवयात्रा पर रो रहा था!
- पुस्तक : होने की सुगंध (पृष्ठ 77)
- रचनाकार : प्रकाश
- प्रकाशन : शिल्पायन पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स
- संस्करण : 2009
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