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‘ठीक-ठीक किस बखत’

theek theek kis bakhat

बबली गुज्जर

बबली गुज्जर

‘ठीक-ठीक किस बखत’

बबली गुज्जर

और अधिकबबली गुज्जर

    ठीक-ठीक किस बखत

    किसी को बतला देना चाहिए

    कि कुछ भी तो ठीक नहीं है ज़िंदगी में

    ठीक किस बखत बाबा के गले लगकर

    उनके कह देना चाहिए था कि

    हमें एक लंबे समय से इच्छा थी इसकी

    ठीक किस बखत आवाज़ ऊँची करके

    पुकार लेना था, वापस जाते प्रेमी का नाम

    और मत जाओ कहकर बचा लेनी थी प्रेम-कहानी

    ठीक किस बखत मान लेना चाहिए

    कि ये अकेलापन खा जाएगा हमें एक दिन

    छत की कड़ियों पर लगे घुन की तरह

    और ये जिसे हम अपना घर कहते हैं

    इसकी चारदीवारी ऐसे टूटकर गिरेगी

    कि लहूलुहान हो जाएगी ज़ख्मी पीठ

    ईश्वर को भी तो नहीं ज्ञात था जैसे

    ठीक-ठीक कितना दुख देना चाहिए

    कि कोई जीते जी मर ही जाए

    तेज़ रोते-रोते बेसुध होने के बाद

    ठीक कितनी देर बाद याद आती है

    पीछे रह गए लोगों के लिए जीना भी है

    किसी अपने के मर जाने के बाद

    ठीक कितने दिन बाद दोस्त से बोल देना था

    अब सब ठीक हो गया है दोस्त

    हमने आत्मा का एक बड़ा हिस्सा

    रो-रोकर कर दिया है कितना नम,

    हम ज़िंदगी में दुख के पक्के,

    और हिसाब के कच्चे लोग हैं!

    स्रोत :
    • रचनाकार : बबली गुज्जर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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