एक
जब जन्म माँगता है :
संजोग, समय, स्नेह, जतन;
कौन-सा देवता
मौत के घाट उतार देता है
बिना सतर्क किए,
बिना समय दिए,
कि मनुष्य
कम से कम
अंतिम प्रार्थना ही कर सके?
दो
आसमान से गिरी
हिंद महासागर से बरामद हुई
जली लाश की शिनाख़्त कर
उसने अपने पति को
ताबूत में रखवाया
और अपनी आँखों में हमेशा के लिए पहन ली
पति की सुंदर छवि
कि बच्चे अपने पिता का वही रूप याद रखें
तीन
वह उसका जुड़वा भाई था
जो घर लौटते हुए
दुर्घटना में मारा गया…
माँ ने आज
इतने दिनों बाद
उसे प्यार किया
जैसे उस दंड के लिए क्षमा
कि उस दिन वह क्यों नहीं मारा गया…
चार
स्कूल की आग में
सब बच गए
बस एक बच्ची मेज़ के नीचे
मरी बरामद हुई
उसे भूकंप से बचने की
पिता की हिदायतें
बख़ूबी याद थीं
पाँच
उसने ऑक्सीजन फ्लोमीटर बंद किया
और बहुत स्नेह से बैठा रहा
अपनी ‘ब्रेनडेड’ माँ का
हाथ पकड़ कर
उस आत्मा को महसूस करते हुए
जो शरीर के दर्द से मुक्त हो रही थी
छह
भौतिक विज्ञान के प्रोफ़ेसर से मिलकर
इतने दिनों में पहली बार वह सोई
कि अब वह निश्चिंत थी
कि जिस यातना और तकलीफ़ को वह हर रोज़ जी रही थी
क्रैश में मौत से पहले
उतनी तकलीफ़ नहीं हुई होगी
सात
जज ने पूछा,
‘‘जब तुम्हें कोई शिकायत नहीं,
कोई झगड़ा भी नहीं,
क्यों चाहती हो अपने पति से तलाक़?’’
उसने कहा,
‘‘खाने की मेज़ पर,
कुहनी मोड़कर बिल्कुल मेरे बच्चे की तरह बैठते हैं ये,
उस दिन जब स्कूल बस का एक्सीडेंट हुआ
टिफ़िन देना भूल गई थी मैं’’
आठ
रिफ्यूजी कैंप में
छह साल की बच्ची
दुआ माँग रही थी
भगवान के लिए
जिस तरह उसका एक भी दोस्त
अब ज़िंदा नहीं था आस-पास
मुश्किल था भगवान का भी बचना…
- रचनाकार : बेजी जैसन
- प्रकाशन : सदानीरा वेब पत्रिका
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