बिहार का प्राचीनतम देवीतीर्थ तुम्हारे पड़ोस में बसा है
फिर भी तुम अलक्षित रह गई
तुम तो जीवनदायिनी-फलदायिनी नदी हो
तुम्हारे ही जल से सिंचित हो
लहलहाती है फसल धान की
किसानों के सीने गर्व से फूलते हैं
जब लहलहाती बारिश में बढ़ी चली आती हो
और जब गर्मी में सिकुड़ने लगती हो तो
पनुआ उगा, किसान गर्मी से राहत पाते हैं और धन भी।
पशु, वन्य जीव तुम्हारे जल से अपनी प्यास मिटाते हैं।
सुवरा! तुम शास्त्रों में और लोकजीवन में भले ही अलक्षित हो
भले ही तुमसे किसी राजा ने विवाह नहीं किया
तुम विष्णुपद से नहीं निकली
हुम ब्रह्मा के कमंडल में नहीं रही कभी
तुम्हें शिव ने नहीं किया अपने जटाजूट में धारण
तुम उतनी ही पवित्र हो सुवरा
जितनी गंगा
सुवरा!
कैसे तुम स्वर्णा से सुवरा हुई
तुम तो सुवर्णा थी
कथा कहो नदी सुवर्णे!
एक समय था
जब मैं स्वर्णा थी
मेरे तली में सोन की तरह मिलते थे स्वर्णकण
सुंदर वर्षों-सी चमकती
सोन मेरा
दूर का भाई
लोगों की भूख बढ़ती गई
और मेरी रेत से बहुमंज़िला इमारतें तनती गई
धीरे-धीरे मेरे सभी स्वर्ण
मनुष्य की असमाप्त भूख ने,
लोभ ने, लालच ने निकाल लिए मेरे गर्भ से
अब जो बचा मुझमें वह
सिर्फ़ बजबजाता पानी था
लोककथाओं में मेरो उपस्थिति थी नहीं
बाण और वात्स्यायन जो मेरे किनारे के रहवासी थे
उन्होंने दर्ज़ नहीं किया अपनी किसी कथा में मुझे
शास्त्र से पहले ही बेदखल थी
यह लोभ-लाभ का कुटुंब है मनुष्य
जब उसके लालच की पूर्ति ना कर सकी
स्वर्णा से होती गई सुवरा
कोई आश्चर्य नहीं कि
कल सुवरा भी नहीं होगी
जैसे नहीं बची स्वर्णा
सुवरा भी नहीं बचेगी
मनुष्य के असमाप्त लोभ से
यह नदियों को देवी मानने का महादेश
नदियों को अपनी भोग्या मानता है
नदियाँ इनके असमाप्त लोभ की सदानीरा हैं।
1. कैमूर जिले की एक नदी, जिसके किनारे कैमूर जिला मुख्यालय भभुआ अवस्थित है। सुवरा जो कभी स्वर्णा नदी थी, लेकिन अब बजबजाती नाली में तब्दील सड़ती हुई एक अभिशापित और विषैली नदी है।
kaisi nadi ho tum suvra?
kahte hain—
ye mahadesh nadiyon ka desh hai
aur nadiyan yahan ki deviyan hai
to kaise paDa tumhara naam suvra
karmanasha ki paDos ki bahin nadi
durgavti tumhari sakhi
kaisa hatbhagya hai
ki vindhyachal ki baanh kaha jane vala kaimur
hai tumhara bhai
aur tumhare parijan alakshit aur apavitr
tumhara jal bhi
karmanasha aur durgavti ki tarah
kisi anushthan ka hissa nahin
tumhare kinare to kabhi
nahin rahe koi asur
balki devi munDeshvari tumhari paDosi hain
kahte hain guptkalin ashtaphalkiy mandir
ka anokha sthapatya liye hue
bihar ka prachinatam devitirth tumhare paDos mein basa hai
phir bhi tum alakshit rah gai
tum to jivandayini phaldayini nadi ho
tumhare hi jal se sinchit ho
lahlahati hai phasal dhaan ki
kisanon ke sine garv se phulte hain
jab lahlahati barish mein baDhi chali aati ho
aur jab garmi mein sikuDne lagti ho to
panua uga, kisan garmi se rahat pate hain aur dhan bhi.
pashu, vanya jeev tumhare jal se apni pyaas mitate hain.
suvra! tum shastron mein aur lokajivan mein bhale hi alakshit ho
bhale hi tumse kisi raja ne vivah nahin kiya
tum vishnupad se nahin nikli
hum brahma ke kamanDal mein nahin rahi kabhi
tumhein shiv ne nahin kiya apne jatajut mein dharan
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी
‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।