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हवा में महल

hava mein mahl

ओक्ताविओ पाज़

ओक्ताविओ पाज़

हवा में महल

ओक्ताविओ पाज़

और अधिकओक्ताविओ पाज़

    कुछ दुपहरियों को अजब चीज़ें राह में

    आती है छू भर जाने से जिनके कि उठती

    है सिहरन, बदल जाता रंग आँखों का,

    बदल जाती सहज मनःस्थिति। मेरी दायीं

    तरफ़, अभेद्य पदार्थ के विशाल भंडार,

    बायीं तरफ़ गर्दनें एक क्रम से। पर्वत

    पर चढ़ता हूँ मैं उसी भय के साथ जो रहता

    है दबोचे और सम्मोहित किए हुए सबको

    बचपन से, जब तक कि किसी-न-किसी

    दिन हम खड़े नहीं हो जाते, ऐन

    उसके सामने। महल जो शिखर पर है

    बना है वह बिजली की एक

    कौंध से। पतला और सरल कुठार-सा,

    सीधा और लपट-सा, वह बढ़ता है

    सामने घाटी के, मानों उसे कर देगा

    दो टुकड़े। महल एक ही काट का,

    जैसे कि अखंडनीय लावा। क्या वे

    गाते है भीतर? वे करते हैं प्रेम या

    कत्ल? हवा सिर पर हू-हू हा-हा

    करती है और गड़गड़ाहट कानों में

    हो जाती स्थिर। घर जाने से पहले।

    फूल वह नन्हा-सा लेता तोड़, उगता

    जो दरारों में, फूल वह काढ़ जिसे

    किरणें तपा देतीं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : ओक्ताविओ पाज़ की कविताएँ (पृष्ठ 50)
    • रचनाकार : ओक्ताविओ पाज़
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2015
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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