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सिपाही

sipahi

गिनो मेरी श्वास,

छुए क्यों मुझे विपुल सम्मान?

भूलो इतिहास,

ख़रीदे हुए विश्व-ईमान!!

अरि-मुंडों का दान,

रक्त-तर्पण भर का अभिमान,

लड़ने तक महमान,

एक पूँजी है तीर-कमान!

मुझे भूलने में सुख पाती,

जग की काली स्याही,

दासो दूर, कठिन सौदा है

मैं हूँ एक सिपाही!

क्या वीणा की स्वर-लहरी का

सुनें मधुरतर नाद?

छिः! मेरी प्रत्यंचा भूले

अपना यह उन्माद!

झंकारों का कभी सुना है

भीषण वाद विवाद?

क्या तुमको है कुरु-क्षेत्र

हलदी घाटी की याद!

सिर पर प्रलय, नेत्र में मस्ती,

मुट्ठी में मनचाही,

लक्ष्य मात्र मेरा प्रियतम है,

मैं हूँ एक सिपाही।

खींचो राम-राज्य लाने को,

भू-मंडल पर त्रेता!

बनने दो आकाश छेदकर

उसको राष्ट्रविजेता,

जाने दो, मेरी किस

बूते कठिन परीक्षा लेता,

कोटि-कोटि कंठों 'जय-जय' है

आप कौन हैं, नेता?

सेना छिन्न, प्रयत्न खिन्न कर,

लाये न्योत तबाही,

कैसे पूजूँ गुमराही को

मैं हूँ एक सिपाही?

बोल अरे सेनापति मेरे!

मन की घुंडी खोल,

जल, थल, नभ, हिल-डुल जाने दे,

तू किंचित् मत डोल!

दे हथियार या कि मत दे तू

पर तू कर हुंकार,

ज्ञातों को मत, अज्ञातों को,

तू इस बार पुकार!

धीरज रोग, प्रतीक्षा चिंता,

सपने बने तबाही,

कह 'तैयार'! द्वार खुलने दे,

मैं हूँ एक सिपाही!

बदलें रोज बदलियाँ, मत कर

चिंता इसकी लेश,

गर्जन-तर्जन रहे, देख

अपना हरियाला देश!

खिलने से पहले टूटेंगी,

तोड़, बता मत भेद,

वनमाली, अनुशासन की

सूची से अंतर छेद!

श्रम-सीकर, प्रहार पर जीकर,

बना लक्ष्य आराध्य

मैं हूँ एक सिपाही, बलि है

मेरा अंतिम साध्य!

कोई नभ से आग उगलकर

किये शांति का दान,

कोई माँज रहा हथकड़ियाँ

छेड़ क्रांति की तान!

कोई अधिकारों के चरणों

चढ़ा रहा ईमान,

'हरी घास शूली के पहले

की'—तेरा गुण गान!

आशा मिटी, कामना टूटी,

बिगुल बज पड़ी यार!

मैं हूँ एक सिपाही। पथ दे,

खुला देख वह द्वार!!

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