Font by Mehr Nastaliq Web

मोदी का बिल

modi ka bil

अनुवाद : एन. एन. बठेजा

अर्जन मीरचंदाणी 'शाद'

अन्य

अन्य

और अधिकअर्जन मीरचंदाणी 'शाद'

    जीवन में बस एक चाह है मस्ती मिले शराब की,

    अकल होश गुम करने वाली झनकारे रबाब की,

    बेख़ुद रहूँ सुध-बुध रहे अपनी मुझे,

    दुनिया ऐसी मिले कि जिसमें पैठ सके ख़्वाब भी,

    मौज और महफ़िल का मज़मा जब मेरा दिल खींचता

    ठीक उसी दम 'मोदी का बिल' आकर दामन पकड़ता

    बादल-सा आवारा बनकर मैं घूमूँ आकाश में,

    मंज़िल, मार्ग कोई हो बस आज़ादी हो पास में,

    “आओ, आओ कहकर मुझ पर चाँद-सितारे इठलाएँ,

    मैं बिजली-सा हँसूँ हृदय में आनंद के स्वर लहराएँ,

    बादल के पर्दों में दिल मेरा जब छुप जाता

    ठीक उसी दम 'मोदी का बिल' आकर दामन पकड़ता

    चंदा के रमणीय रूप का अति आनंद उठाऊँ मैं,

    सागर के हृदय में लहराते भाव उछलते देखूँ मैं,

    चाँदनी की मखमली सेज से जी भरकर लिपटूँ मैं,

    जीवन का सारा रूखापन पूर्ण रूप से भूलूँ मैं;

    चंद्र-छटा पर मैं जब अपने नयनों को टिकाता

    ठीक उसी दम 'मोदी का बिल' आकर दामन पकड़ता

    नशा नहीं चढ़ता है मुझ पर यद्यपि गोते खाता हूँ,

    बार-बार अपनी हालत पर शोक हरदम मनाता हूँ;

    जहाँ क़ैद में हो आत्मा ही, जीवन भला वहाँ कैसे?

    बिना उड़ान भरे पंछी को मिल सकता है सुख कैसे?

    मधुर राग गाने को उत्सुक मेरा हृदय कचोटता

    ठीक उसी दम 'मोदी का बिल' आकर दामन पकड़ता।

    स्रोत :
    • पुस्तक : भारतीय कविता 1954-55 (पृष्ठ 733)
    • रचनाकार : अर्जन मीरचंदाणी 'शाद'
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY