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चादर

chadar

अनुवाद : देवी नागरानी

अतिया दाऊद

और अधिकअतिया दाऊद

    मेरे किरदार की चादर

    सदा ही अपर्याप्त

    जितनी आँखें मेरे बदन पर गढ़ीं

    वहाँ तक चादर मुझे ढाँप पाई

    मेरे किरदार की चादर हमेशा से मैली

    धोते-धोते मेरे हाथ थके हैं

    जितनी ज़बानें ज़हर उगलती हैं

    उन्हें धोने के लिए उतने दरिया नहीं हैं मेरे देश में

    इस चादर में हमेशा छेद

    सात संदूकों में छिपाऊँ तो भी

    आपसी मतभेद के आक्रमणकारी चूहे कुतर जाते हैं

    इस चादर को हमेशा ख़तरा

    रीती-रस्मों के क़िलों में हमेशा इस पर पहरा

    तो भी मेरे सर से खिसकती रहती है

    रौशन-रौशन नैनों वाली मेरी बेटी

    अँधेरे के ऊन से

    ऐसी चादर तुंम्हारे लिये भी बुनी जा रही है

    जिस में ख़ुद को समई करने के लिये

    वज़ूद को समेटते हुए सर झुकाना होगा

    अगर मेरे थके-थके हाथ वह चादर तुम्हें पेश करें

    अपने पैरों तले रौंद डालना

    रीति-रस्मों के सभी पहाड़ फलाँग जाना

    मेरा हाथ पकड़कर मुझे वहाँ ले जाना

    जहाँ मैं अपनी मर्ज़ी से

    ज़िंदगी से भरपूर साँस लूँ

    तुम-सा एक आज़ाद कहकहा लगाऊँ!

    स्रोत :
    • पुस्तक : एक थका हुआ सच (पृष्ठ 88)
    • रचनाकार : अतिया दाऊद
    • प्रकाशन : श्री प्रकाशन, दिल्ली
    • संस्करण : 2017

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