आज टूटा मौन, मन कुछ गा रहा है
aaj tuta maun, man kuch ga raha hai
कृष्ण मुरारी पहारिया
Krishna Murari Pahariya
आज टूटा मौन, मन कुछ गा रहा है
aaj tuta maun, man kuch ga raha hai
Krishna Murari Pahariya
कृष्ण मुरारी पहारिया
और अधिककृष्ण मुरारी पहारिया
आज टूटा मौन, मन कुछ गा रहा है
चाव से हर घाव को सहला रहा है
ढूँढ़कर अवकाश निशिदिन के समर से
पीर जो इसको मिली अपनी उमर से
बह चली है छंद बन दुखते अधर से
वह स्वयं को राज कुछ समझा रहा है
भाव भय के मैल बनकर छा गए थे
चिह्न अपजय के सतह पर आ गए थे
यत्न को विश्राम के क्षण भा गए थे
वह नए विश्वास को दुहरा रहा है
- पुस्तक : यह कैसी दुर्धर्ष चेतना (पृष्ठ 39)
- रचनाकार : कृष्ण मुरारी पहारिया
- प्रकाशन : दर्पण प्रकाशन
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