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उस आदमी ने कहा

us adami ne kaha

विशाल श्रीवास्तव

विशाल श्रीवास्तव

उस आदमी ने कहा

विशाल श्रीवास्तव

और अधिकविशाल श्रीवास्तव

    उसने कहा उसकी उम्र नब्बे साल हो गई है

    अब बराबर दिखता नहीं है उसे

    घुटनों में काफ़ी तकलीफ़ है चलना मुश्किल हो गया है

    और यह भी कि बीमार पड़ा है उसका जवान बेटा

    बचने की उम्मीद नहीं है कोई

    वह एक दुखी आदमी था

    और उसके शोक की परछाई

    मैं आस-पास की हर चीज़ पर

    पड़ते देख रहा था लगातार

    मैं उस समय बेहद जल्दी में था

    और उसकी तमाम बातों को सुनते हुए

    जल्दी निकलने की फ़िक्र में भी

    उसने शायद कुछ भाँप लिया था

    और अचानक

    उम्र में मुझसे चार गुना बड़ा वह आदमी

    पनीली आँखों के साथ मेरे पैरों पर झुका

    और अपनी चिरंतन तकलीफ़ के साथ चला गया चुपचाप

    इस तरह संघनित हुई

    मेरे भीतर की बची हुई शर्म

    और पहली बार मुझे दुख हुआ

    साथ ही एक अजीब-सी विरक्ति

    उस समय मेरे पास तमाम चीज़ें थीं

    जो मुझे बुद्ध होने से रोक रही थीं

    पिता का उदास चेहरा

    माँ की आँखों का ख़ालीपन

    और कई-कई चेहरों का लोच भी शामिल था इनमें

    फिर पता नहीं क्यों

    उस आदमी का चेहरा भी

    अक्सर मिलता रहता है इन छवियों में

    कहता हुआ अपनी उम्र के बारे में

    घुटनों की तकलीफ़ के बारे में

    लड़के की बढ़ती जा रही बीमारी के बारे में

    दुख होता है अब भी

    पर कम होता हुआ लगातार

    अपने लिए मेरी घृणा

    इन दिनों बढ़ती जा रही है क्रमशः

    स्रोत :
    • पुस्तक : पीली रोशनी से भरा काग़ज़ (पृष्ठ 35)
    • रचनाकार : विशाल श्रीवास्तव
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2016

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