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खेमकरण ‘सोमन’

खेमकरण ‘सोमन’

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खेमकरण ‘सोमन’

और अधिकखेमकरण ‘सोमन’

    एक जगह हिरणी बैठी हुई थी

    ठीक उसकी बगल में बैठा हुआ था हिरण भी

    दोनों देख रहे थे दूर कहीं

    दूर कहीं

    घास के मैदान में एक बकरी भी मुस्कुरा रही थी

    बकरे ने भी आकर उसका इंतज़ार ख़त्म किया

    इंतज़ार जब ख़त्म हुआ

    एक दूसरे को चूमने लगे बाघ-बाघिन

    बनाने लगे भविष्य की कोई ख़ूबसूरत योजना

    ख़ूबसूरत योजना को अपने दिमाग़ में रखकर

    एक बैल ने गाय को देखा और कहा—प्रिय

    बहुत पसंद हो तुम मुझे

    क्या मेरे बछड़े की माँ बनना स्वीकार करोगी

    स्वीकार करोगी तुम ज़रूर

    ऐसा सोचते हुए विनम्रता से नाग ने देखा नागिन को

    नागिन ने भी महसूस किया—

    वे बन सकते हैं सुख-दुख के साथी

    फिर लिपटे रहे जाने कितने घंटों तक

    उस दिन उन दोनों ने जीभर प्यार किया

    जीभर प्यार करने की इच्छा से सरोबार

    मोर ने अपने नाच से प्रभावित कर दिया मोरनी को

    फिर मोर भी प्रफ़ुल्लित हुआ

    उसने ज़िंदगी में आने के लिए

    मोरनी का आभार व्यक्त किया

    आभार व्यक्त किया चिड़े ने भी चिड़िया का

    जब दोनों ने एक-दूसरे चुना फिर मगन हो गए प्यार करने में

    फिर दोनों ने घोंसला भी बनाया एक बड़े छायादार पेड़ पर

    एक बड़े छायादार पेड़ पर दृष्टि जमाए

    धरती बिछी हुई थी आसमान के लिए

    आसमान भी निहार रहा था धरती का अद्भुत सौंदर्य

    इतना सब कुछ हो रहा था पर

    नहीं था किसी के दिल-दिमाग़ में या

    किसी के भी शब्दकोश में—

    ‘बलात्कार’ शब्द।

    स्रोत :
    • रचनाकार : खेमकरण ‘सोमन’
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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