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सेमल के फूलों का गिरना

semal ke phulon ka girna

हिमांशु जमदग्नि

हिमांशु जमदग्नि

सेमल के फूलों का गिरना

हिमांशु जमदग्नि

मैं जब-जब शय्या पास गया

मुझे याद आया

सेमल के फूलों का सड़क

पर गिर जाना,

छाँह का भागना,

पर मुझे याद आना चाहिए था

नवजात का काँधे पर सर

रख सो जाना

लोरी गुनगुनाना, सर सहलाना

पर इस समय को मुझसे अलगाव है

घाव है मेरे सूखे पेट में भूख का

घाव भरने के लिए टूक बचा नहीं

इस बरस सहतूत के रूख़ पर फल उगा नहीं

मेरा खिला रुख़-सूख गया रूख़ संग

और मैं होकर मलंग

बंजर मही पर चराता रहा गो

उतारता रहा काग संग अपना छौं

गो के प्लास्टिक खाने पर

हम दोनों को रोना आया

हम गोस्वामी नहीं थे

गोस्वामी कोई नहीं होता

गो होती है या तो नन्हीं या बड़ी

बड़ी गो मारती रही सींग

मैं अपनी गो बचाता रहा या मुझे वो?

ये मैं तुम पर छोड़ रहा हूँ

गोया विद्यार्थियों द्वारा सिंक में झूठे बर्तन

अमीरों द्वारा डूबा वतन

और अनशन पर बैठे आम-जन

छोड़ दिए जाते हैं

सरकार द्वारा मरने के लिए

स्रोत :
  • रचनाकार : हिमांशु जमदग्नि
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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