सबसे प्रसिद्ध प्रश्न 'मैं क्या हूँ' के कुछ निजी उत्तर
sabse prasiddh parashn main kya hoon ke kuch niji uttar
गीत चतुर्वेदी
Geet Chaturvedi
सबसे प्रसिद्ध प्रश्न 'मैं क्या हूँ' के कुछ निजी उत्तर
sabse prasiddh parashn main kya hoon ke kuch niji uttar
Geet Chaturvedi
गीत चतुर्वेदी
और अधिकगीत चतुर्वेदी
रोटी बेलकर उसने तवे पर बिछाई
और जिस समय उसे पलट देना था रोटी को
ठीक उसी समय एक लड़की का फ़ोन आ गया
वह देर तक भूले रहा रोटी पलटना
मैं वही रोटी हूँ
एक तरफ़ से कच्ची, दूसरी तरफ़ से जली हुई।
उस स्कूल में कोई बेंच नहीं थी, कमरा भी नहीं था विधिवत
इमारत खँडहर थी
बारिश का पानी फ़र्श पर बिखरा था और बीच की सूखी जगह पर
फटा हुआ टाट बिछाकर बैठे बच्चे हिंदी में पहाड़ा रट रहे थे
सरसराते हुए गुज़र जाता है एक डरावना गोजर
एक बच्चे की जाँघ के पास से
अमर चिउँटियों के दस्ते में से कोई दिलजली चिउँटी
निकर के भीतर घुसकर काट जाती है
नहीं, मैं वह स्कूल नहीं, वह बच्चा भी नहीं, गोजर भी नहीं हूँ
न अमर हूँ, न चिउँटी
मैं वह फटा हुआ टाट हूँ।
गोल्ड स्पॉट पीने की ज़िद में घर से पैसे लेकर निकला है एक बच्चा
उसकी क़ीमत सात रुपए है बच्चे की जेब में पाँच रुपए।
माँ से दो रुपए और लेने के लिए घर की तरफ़ लौटता बच्चा
पाँच बार जाँचता है जेब में हाथ डाल कि
पाँच का वह नोट सलामत है
घर पहुँचते-पहुँचते उसके होश उड़ जाते हैं कि जाने कहाँ
गिर गया पाँच रुपए का वह नोट
वह पाँच दिन तक रोता रहा
हाँ, आपने सही समझा इस बार,
मैं वह पाँच रुपए का नोट हूँ
उस बच्चे की आजीवन संपत्ति में
पाँच रुपए की कमी की तरह मैं हमेशा रहूँगा।
मैं भगोने से बाहर गिर गई उबलती हुई चाय हूँ
सब्ज़ी काटते समय उँगली पर लगा चाक़ू का घाव हूँ
वीरेन डंगवाल द्वारा ली गई हल्दी राम भुजिया की क़सम हूँ
अरुण कोलटकर की भीगी हुई बही हूँ
और
और
चलो मियाँ, बहुत हुआ
अगले तेरह सौ चौदह पन्नों तक लिख सकता हूँ यह सब
‘मैं क्या हूँ’ के इतने सारे उत्तर तो मैंने ही बता दिए
बाक़ी की कल्पना आप ख़ुद कर लेना
क्योंकि मैं ज़िम्मेदारी से भागते पुरुषों की
सकुचाई जल्दबाज़ी हूँ, अलसाई हड़बड़ाहट हूँ
चलते-चलते बता दूँ
ठीक इस घड़ी, इस समय
मैं दुनिया का सबसे सुंदर मनुष्य हूँ
मेरे हाथ में मेरे प्रिय कवि का नया कविता-संग्रह है।
- रचनाकार : गीत चतुर्वेदी
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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