Font by Mehr Nastaliq Web

आने वालों से एक सवाल

aane walon se ek sawal

भारतभूषण अग्रवाल

भारतभूषण अग्रवाल

आने वालों से एक सवाल

भारतभूषण अग्रवाल

तुम, जो आज से पूरे सौ वर्ष बाद

मेरी कविताएँ पढ़ोगे

तुम मेरी धरती की नई पौध के फूल

तुम, जिनके लिए मेरा तन-मन खाद बनेगा

तुम, जब मेरी इन रचनाओं को पढ़ोगे

तो तुम्हें कैसा लगेगा :

इस का मेरे मन में बड़ा कौतूहल है।

बचपन में तुम्हें हिटलर और गांधी की कहानियाँ सुनाई जाएँगी

उस एक व्यक्ति की

जिसने अपने देशवासियों को मोह की नींद सुला कर

सारे संसार में आग लगा दी,

और जब लपटें उसके पास पहुँचीं

तो जिसने डर कर आत्महत्या कर ली

ताकि उनका मोह टूटे;

और फिर उस व्यक्ति की

जिसने अपने देशवासियों को सोते से जगा कर

सारे संसार को शांति का रास्ता बताया

और जब संसार उसके चरणों पर झुक रहा था

तब जिसके देशवासी ने ही उसके प्राण ले लिए

कि कहीं सत्य की प्रतिष्ठा हो जाए।

तुम्हें स्कूलों में पढ़ाया जाएगा

कि सौ वर्ष पहले

इनसानी ताक़तों के दो बड़े राज्य थे

जो दोनों शांति चाहते थे

और इसीलिए दोनों दिन-रात युद्ध की तैयारी में लगे रहते थे,

जो दोनों संसार को सुखी देखना चाहते थे

इसीलिए सारे संसार पर क़ब्जा करने की सोचते थे;

और यह भी पढ़ाया जाएगा

कि एक और राज्य था

जो संसार-भर में शांति का मंत्र फूँकता रहा

पर जिसे अपने ही घर में

भाई-भाई के वीच दीवार खड़ी करनी पड़ी

जो हर पराधीन देश की मुक्ति में लगा रहता था

पर जिसके अपने ही अंग पराए बंधन में जकड़े रहे।

तुम्हें विश्वविद्यालयों में बताया जाएगा

कि इंसान का डर दूर करने के लिए

सौ साल पहले वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसे आविष्कार किए

जिनसे इंसान का डर और भी बढ़ गया,

और यह भी

कि उसने चाँद-सितारों में भी पहुँचने के सपने देखे

जबकि उसके सारे सपने चकनाचूर हो गए थे।

और तभी किसी दिन

किसी प्राचीन काव्य-संग्रह में

तुम मेरी कविताएँ पढ़ोगे;

और उन्हें पढ़ कर तुम्हें कैसा लगेगा

यह जानने का मेरे मन में बड़ा कौतूहल है।

तुम जो आज से सौ साल बाद मेरी कविताएँ पढ़ोगे

तुम क्या यह जान सकोगे

कि सौ साल पहले

जिन्होंने तन्मयता से विभोर होकर

आत्मा के मुक्त-आरोहण के

या समवेत जीवन के जय के गीत गाए

वे आँखें बंद किए सपनों में डूबे थे

और मैं जिसका स्वर सदा दर्द से गीला रहा,

जिसके भर्राए गले से कुछ चीख़ें ही निकल सकीं

मैं सारा बल लगा कर

आँखें खोले

यथार्थ को देख रहा था।

स्रोत :
  • पुस्तक : तार सप्तक (पृष्ठ 100)
  • संपादक : अज्ञेय
  • रचनाकार : भारतभूषण अग्रवाल
  • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ
  • संस्करण : 2011

संबंधित विषय

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY