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संक्रमण

sankrman

सत्यम तिवारी

सत्यम तिवारी

संक्रमण

सत्यम तिवारी

रेखा के उस पार सब संदिग्ध थे

इस तरह वह लंपट था और मुँहफट

सूचियों से नदारद

चौकसी से अंजान

वह जिस देवता को फूल चढ़ाता

उसकी कृपा चट्टानी पत्थरों के बरक्स ढुलकती

उसकी प्रार्थना अँधेरी काली सड़कों-सी अंतहीन

जहाँ भूपति ही त्राधिपति हो

वहाँ फाँसी के फंदे पर

गिलोटिन के तख़्ते पर

उन्मादियों के झंडे पर

वह किसके भरोसे चढ़ा?

अगर उसे अपने ही गुनाहों की सज़ा मिली

तो उसका होना इतना भी बुरा नहीं होता

वह जो समय रहते कालातीत हो गया

उसके लिए मैं ठीक इस जगह पर

एक पंक्ति भी नहीं सोच सका

यह कितना ग़लत होता

अगर उसके बारे में मैं ग़लत होता

यह कितना ग़लत होता

अगर इसके बारे में मैं सही होता

बात गुलमोहर और अनजान गलियों की नहीं है

है तो यह जीवन और मृत्यु में श्रेष्ठताबोध की भी नहीं

लेकिन जब लोग कहते हैं कि उन्हें जीना पड़ा

तो लगता है कि मरने को मिला होता तो मर गए होते!

स्रोत :
  • रचनाकार : सत्यम तिवारी
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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