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मज़दूर और मसीह

mazdur aur masih

अलेक्सेइ खोम्याकोव

अलेक्सेइ खोम्याकोव

मज़दूर और मसीह

अलेक्सेइ खोम्याकोव

और अधिकअलेक्सेइ खोम्याकोव

    पूरे दिन, जब तक उसके हाथों में बल था,

    वह हलवाहा भारी हल को धीरज धरकर

    चला रहा था, उलट रहा था

    बड़े-बड़े माटी के ढोके

    जिनके ऊपर घास उगी थी,

    बना रहा था लंबे-गहरे खूड खेत में।

    उफ़! जब मुझको घेरे निर्दय घृणा खड़ी थी,

    मेरे पौरुष-हिम्मत पर ताने कसती थी,

    मेरी मेहनत पर हँसती थी,

    भूत की तरह दिए काम में जुता हुआ था,

    पर अब चूर हुआ हूँ थककर,

    चूर हुआ हूँ।

    अब मुझको आराम चाहिए।

    काश, निंदारे मैदानों में

    छाया वाले तरुवर होते जिनकी डालें

    मेरी स्वेद-सनी काया के ऊपर

    मेहराबों-सी झुकती

    जिनके नीचे कल-कल करती धारा बहती।

    काश कि क्षण भर

    उस छाया में, उस धारा के ऊपर झुककर

    प्यास बुझाता, लंबी ठंडी साँस खींचता,

    जैसे नभ की साध्य गद्य भी पी जाऊँगा।

    काश कि जल से अंजलि भर-भर

    सिर माथे का मद-पसीना धोता,

    अपनी चिंताओं का भार हटाता।”

    बड़ा मूर्ख है। छाया तेरे लिए नहीं है।

    तुझे नहीं आराम बदा है। काम किए जा।

    करता ही जा।

    डाल नज़र खेतों पर कितना कुछ करने को।

    कितना थोड़ा समय बचा है।

    उठ पराजित हो तू अपनी कमज़ोरी से।

    तेरे स्वामी की आज्ञा है।

    उठ! फिर अपना काम शुरू कर।

    तुझे ख़रीदा था मैंने भारी क़ीमत पर,

    उस सलीब से जिसपर मैंने अपना जीवन-रक्त दिया था।

    हलवाहे, जो काम बताया मैंने तुझको

    तू कर उसको शीश झुकाकर

    मेहनतकश, मेहनत कर कसकर अनथक दिन भर।

    प्रभु, तेरी इच्छा के मार्ग में नत-मस्तक,

    कंपित, अर्पित।

    तेरे अज्ञानी सेवक ने जो प्रमाद-वश कह डाला था

    तेरी न्याय-पुस्तिका में मत हो वह अंकित।

    जो तेरा आदेश करूँगा उसको पूरा

    स्वेद और श्रम से वे हारे,

    मैं थकूँगा, मैं झुकाऊँगा पलकों को

    लगा पाता जब तक तेरा काम किनारे।

    अब तेरा सेवक आलस-वश कभी होगा,

    हाथ हटाएगा कभी हल के हत्थे से,

    भली भाँति उन खेतों को तैयार करेगा

    जिनमें तेरे वरद करों से बीज पड़ेगा।

    स्रोत :
    • पुस्तक : चौंसठ रूसी कविताएँ (पृष्ठ 84)
    • रचनाकार : अलेक्सेइ खोम्याकोव
    • प्रकाशन : राजपाल एंड संस
    • संस्करण : 1964
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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