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फ़र्क़ तुम्हारे और मेरे बीच

farq tumhare aur mere beech

वासु आचार्य

वासु आचार्य

फ़र्क़ तुम्हारे और मेरे बीच

वासु आचार्य

सुख और दुःख / अपना-अपना है

मेरा दुःख / तुम्हें लग सकता है इकसार

और मेरे सुख पर हँस भी सकते हो

तुम्हें जंगल में खेजड़ी पर बैठी

एकाकी अकेली चिड़िया में / ख़ास दिलचस्पी हो

शायद / पर मेरे मन में गहरी उदासी भर जाती है

तैरने लगते हैं मेरी आँखों में

कच्चे छप्पर / उदास झोंपड़ियाँ

जहाँ लगातार / कोई उजास दिखता

है धुआँ उठता है / किसी रसोई से,

इसमें मेरा कोई क़ुसूर नहीं है मेरे भाई!

कि तुम्हें खुले आसमान में झपटते बाज़

और बचाव के लिए छटपटाते

कबूतरों के जीवन-मृत्यु के ख़ूनी खेल में

बाज़ का झपटना रोमांचक लगता—

है, उसमें रस आता है तुम्हें

और मैं चिंतित भयभीत / कबूतर की पीड़ा से

सूखने लगता हूँ भीतर ही भीतर

मैं जहाँ खड़ा हूँ वहाँ की ज़मीन का

अपना सोच है और अलग नज़र—

मैंने कहा / सुख और अपना-अपना होता है

दुःख।

स्रोत :
  • पुस्तक : आधुनिक भारतीय कविता संचयन राजस्थानी (1950-2010) (पृष्ठ 80)
  • रचनाकार : वासु आचार्य
  • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
  • संस्करण : 2012
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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