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राह की कुतिया

rah ki kutiya

अनुवाद : हिरण्मय

अंबिकातनयदत्त

अंबिकातनयदत्त

राह की कुतिया

अंबिकातनयदत्त

राधी है कुतिया राह की

उसके पेट पर भरे हैं थन,

लटकते थनों की हैं कतारें

पेट भर, वक्ष पर उसके।

राधी है कुतिया राह की

उसका स्नेही है गाँव-भर,

प्रणय उसका है सब पर प्रकट

छोटे लड़के हैं जिसके दर्शक।

राधी है कुतिया राह की

अनगिनत हैं जिसके बालक-बच्चे,

उसे है नहीं कुछ पेट की चिंता

पालन भी उनका करती है वही।

राधी है कुतिया राह की

गाँव में हैं सब उसके अपने,

मैले-कुचैले और भिखमंगे,

प्रेमी उसके हैं चोर औ' *** भी।

राधी है राह की कुतिया

उनका कोई धंधा वेतन

कूड़ा-करकट गुदड़ी-मसान

उसकी है यही बपौती जागीर।

राधी है राह की कुतिया,

हवा-पानी से बचने का साधन

इमली के पेड़ की छाया है उसे,

जिसके तले करती 'एव्वेन' आराधन।

राधी थी कुतिया राह की,

हाल में ही हो गई उसकी मृत्यु

जिसे सुन, एक दुष्ट हँस पड़ा

रो पड़ी वेश्या बाज़ार की।

एव्वेन : इमली के पेड़ के नीचे वास करने वाली सात बच्चों की माँ

स्रोत :
  • पुस्तक : भारतीय कविता 1953 (पृष्ठ 121)
  • रचनाकार : अंबिकातनयदत्त
  • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
  • संस्करण : 1956

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