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परिणति फिर चाहे जैसी हो, अपना काम करो

parinati phir chahe jaisi ho, apna kaam karo

कृष्ण मुरारी पहारिया

कृष्ण मुरारी पहारिया

परिणति फिर चाहे जैसी हो, अपना काम करो

कृष्ण मुरारी पहारिया

और अधिककृष्ण मुरारी पहारिया

    परिणति फिर चाहे जैसी हो, अपना काम करो

    एक बार संकल्प लिया जो, उसके लिए मरो

    इस अँधियारे देश-काल से कैसी आशा रे

    अंधे बेईमान धरम की क्या परिभाषा रे

    मुक्ति खोजते हैं सब अपनी-अपनी अंध गली

    आत्मतुष्ट की छाती दलता कोई महाबली

    अन्यायी के लिए हृदय में, निर्मम रोष भरो

    धवल अहिंसा के उपदेशों त्राण नहीं होगा

    घुटी हुई साँसों से पोषित प्राण नहीं होगा

    अपने मन की बात खोलकर कहनी ही होगी

    दावानल की आँच सभी को सहनी ही होगी

    कल का क्या विश्वास, समय से जूझो अभी झरो

    स्रोत :
    • पुस्तक : यह कैसी दुर्धर्ष चेतना (पृष्ठ 71)
    • रचनाकार : कृष्ण मुरारी पहारिया
    • प्रकाशन : दर्पण प्रकाशन
    • संस्करण : 1998

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