Font by Mehr Nastaliq Web

पाँच स्त्रियाँ दुनियाँ की असंख्य स्त्रियाँ हैं

panch striyan duniyan ki asankhya striyan hain

चंदन सिंह

चंदन सिंह

पाँच स्त्रियाँ दुनियाँ की असंख्य स्त्रियाँ हैं

चंदन सिंह

और अधिकचंदन सिंह

    खेतों में उग रही है कपास

    प्रजननरत हैं रेशम के कीड़े

    भेड़

    नाई के यहाँ जा रही हैं

    घूम रहा है चरख़ा

    चल रहा है करघा

    ख़ूब काते जा रहे हैं सूत

    ख़ूब बुने जा रहे हैं कपड़े

    ऐन इसी समय

    पाँच स्त्रियों को नंगा किया जा रहा है

    गाँव के बीचों-बीच

    भरी भीड़ में

    एक-एक कर नोचे जा रहे हैं सारे कपड़े

    देह से अंतिम कपड़ों के नुचते ही

    उनकी बाँहें और टाँगें

    अपस में सूत की तरह गुँथकर बन जाना चाहती हैं

    ख़ूब गझिन कपड़े का कोई टुकड़ा

    गालियाँ बकती हुई बंद करती हैं वे अपनी आँखें

    तो पलकें चाहती हैं मूँद लेना पूरा शरीर

    आत्मा चाहती है बन जाना देह की चदरिया

    पाँच स्त्रियों को बहुत चुभता है

    दिन का अश्लील प्रकाश

    भीड़ में कोई नहीं सोचता कि अब

    फूँककर बुझा देना चाहिए सूर्य!

    पाँच स्त्रियों को चलाया जाता है

    यहाँ से वहाँ तक

    वहाँ से वापिस नहीं लौटना चाहती हैं वे

    मुड़ जाना

    किसी पथरीले और जंगली समय की ओर

    जब तन ढँकने का रिवाज नहीं था

    अधिक से अधिक

    देह की चमड़ी भर उतारी जा सकती थी

    शर्म से लहूलुहान पाँच स्त्रियाँ

    देह पर लाज भर लत्ता नहीं

    धीरे-धीरे सारी लाज

    सहमी हुई जा दुबकती है नाख़ूनों की ओट में

    बची हुई मैल के बीच

    जब पहली बार पृथ्वी पर

    कपास को दूह कर काता गया होगा

    पहला-पहला सूत

    उसी समय पहले सूत से ही बुन दी गई होगी

    पाँच स्त्रियों की नग्नता

    पाँच स्त्रियाँ दुनियाँ की असंख्य स्त्रियाँ हैं

    कभी विज्ञापनों में

    कभी माँ के गर्भ में ही

    कभी पीट-पीटकर जबरन

    नंगी की जाती हुई

    और कभी-कभी तो कोई कुछ करता भी नहीं

    अपने ही हाथों उतारने लगती हैं वे अपने कपड़े चुपचाप

    अब क्या करना होगा इन्हें फिर से ढँकने के लिए?

    अख़बार में छपी है ख़बर

    पर कहता है दर्ज़ी कि नाप से कम है ख़बर

    सदन में जो बहस हुई

    नाप से कम है

    कम है नाप से कविता

    श्रीकृष्ण वस्त्रालय पर लगा हुआ है ताला

    और वह रास्ता

    जो जाता है यहाँ से गांधीनगर की ओर

    जहाँ एशिया का सबसे बड़ा कपड़ा बाज़ार है

    कहीं बीच में ही खो गया है

    तो क्या

    अब हमारी इस पृथ्वी को अपनी धुरी पर

    किसी लट्टू की तरह नहीं

    बल्कि एक तकली की तरह घूमना होगा?

    स्रोत :
    • रचनाकार : चंदन सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए