पीड़ा से अब पीड़ा का उपचार रह गया है
piDa se ab piDa ka upchaar rah gaya hai
कृष्ण मुरारी पहारिया
Krishna Murari Pahariya
पीड़ा से अब पीड़ा का उपचार रह गया है
piDa se ab piDa ka upchaar rah gaya hai
Krishna Murari Pahariya
कृष्ण मुरारी पहारिया
और अधिककृष्ण मुरारी पहारिया
पीड़ा से अब पीड़ा का उपचार रह गया है
नेह उठ गया जग से लोकाचार रह गया है
व्यथा दबाकर जीना होता अपने प्रति अपराध
पीड़ाहीन धरा के सपनों की झूठी है साध
हिंसा का बदला हिंसा है, प्रायश्चित है भूल
पीड़ा देने वाला आँखों में रहता है झूल
कोमल मन पर केवल अत्याचार रह गया है
अंतर में पालो कठोरता, कोमलता के बीच
कठिन समय पर इस धरती को दो लोहू से सींच
लोहू फिर अपना हो या प्रतिद्वंद्वी की काया का
परदा तहस-नहस करना है कैसी भी माया का
भय की ओटों केवल भ्रष्टाचार रह गया है
- पुस्तक : यह कैसी दुर्धर्ष चेतना (पृष्ठ 90)
- रचनाकार : कृष्ण मुरारी पहारिया
- प्रकाशन : दर्पण प्रकाशन
- संस्करण : 1998
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