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चाँदनी रात में रेल यात्रा

chandni raat mein rail yatra

अनुवाद : दिनेश कुमार माली

सीताकांत महापात्र

सीताकांत महापात्र

चाँदनी रात में रेल यात्रा

सीताकांत महापात्र

सीरियल दुस्वप्नों के बाद उठकर बैठा

और मुझे नींद नहीं हुई

द्रुतगामी ट्रेन जा रही थी

काली देवी की तरह

डिब्बे के हिचकोले खाते झूलों में

नींद में सोए हुए थे कुछ आदमी

भिन्न-भिन्न गाँव के, शहर के, बस्ती के

जा रहे थे अलग-अलग गाँव को, शहर को

इधर मेरे दुस्वप्न में भयंकर आततायी

भाग रहे थे अलग-अलग लक्ष्य-स्थल को

आह! बाहर रानिफूल-सा चाँद

कितना सरल जीवन!

जीवन के दिन-रात में यह धरती कितनी सुंदर

खिड़की के शीशों से

पेड़, क्यारी, तालाब, कुमुद

दौड़कर भाग रहे थे सभी पीछ-पीछे

हमारे भय, हमारे आँसू

हमारी व्यथा, अपनों को खोने का दुःख

हमारी प्रगल्भता, हमारे शून्य, हमारे आँसू और हमारे ख़ून

दौड़कर भागे जा रहे थे कल के अँधेरे में, अतीत में

इतिहास के पन्नों में, और वहाँ से मिथक में

ट्रेन चलती जा रही है, चलती जा रही है

दिग्वलय पर चंद्रमा दौड़ता जा रहा है, दौड़ता जा रहा है

मगर मुझे नींद नहीं।

स्रोत :
  • पुस्तक : ओडिया भाषा की प्रतिनिधि कविताएँ (पृष्ठ 165)
  • रचनाकार : सीताकांत महापात्र
  • प्रकाशन : यश पब्लिकेशंस
  • संस्करण : 2012
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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