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निषिद्ध अनुनय

nishaiddh anunay

मंजुला बिष्ट

मंजुला बिष्ट

निषिद्ध अनुनय

मंजुला बिष्ट

और अधिकमंजुला बिष्ट

    एकांत में

    रोने का सबसे अहमक़ तरीक़ा यह है

    चीख़ें इतनी ज़ोर से

    कि आत्मा न्यूनतम रीत जाए

    लेकिन बग़लगीर दीवार भी बेख़बर रहे;

    नही, नहीं!

    मैंने किसी को कपड़ा मुँह में ठूँसकर

    रोने की सलाह बिल्कुल दी है

    महफ़िलों में

    हँसने की सबसे संकोची घटना वह है

    मंद लय में ऐसी हँसी झरती रहे

    कि आप देहातीत हो खिल उठें

    लेकिन निराशा को भी ग़फ़लत होती रहे

    उसके दुःखों पर हँसना अभी भी अभेद्य काम है;

    नहीं, नहीं!

    मैंने अट्टहास पूर्व किसी गलदश्रु की तरफ़ पीठ करने को नहीं कहा है

    नफ़रतों के मध्य

    प्रेयस बनने का सबसे निष्कूट प्रयास यह है

    प्रेम करे इतना मंदबुद्धि होकर

    कि स्वयं की पहचान के प्रति भी कौतुक बने रहें

    भूखा-प्यासा भेड़िया आपको हमशक्ल पुकारे कभी

    नहीं, नहीं

    मैंने आपको प्रेम में अधिक शील-नागरिक होने की विनती नहीं की है

    शिक्षालयों में

    बेस्ट-टीचर अवार्ड को चूमने से पहले

    उठा लें एक बहिष्कृत छात्र का झुका सिर

    रोक दें किसी चपल मासूम की तरफ़

    आपके मार्फ़त फुसफुसाए हतोत्साहन मंत्र को;

    नहीं, नहीं!

    मैंने आपको व्यक्तिगत कुंठाओं को तज

    अधिक शिक्षित होने की ताक़ीद नहीं की है

    वाचनालयों में

    सर्वविदित कृति की उबाऊ प्रतीक्षा से पहले

    उस दराज़ की तरफ़ अवश्य टहल आएँ

    जहाँ किसी पदचिह्न के अंकित होने की सूचना हो

    सृजन की उन बंद यज्ञशालाओं पर वातायनों से रौशनी गिरी हो

    नहीं, नहीं!

    मैं अपठित रही अभिव्यक्तियों हेतु

    सदाशय बने रहने की गुंजाइश नहीं बता रही हूँ।

    स्रोत :
    • रचनाकार : मंजुला बिष्ट
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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