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निर्वाह

nirvah

बबली गुज्जर

बबली गुज्जर

निर्वाह

बबली गुज्जर

और अधिकबबली गुज्जर

    हम इतिहास के पहले ऐसे प्रेमी युगल नहीं थे

    जिनकी इच्छाएँ बहा ले गई पवित्र अश्रु नदी,

    सब विसर्जित कर जोड़ लिए थे ईश्वर आगे हाथ

    और मुक्त कर दिया था एक दूसरे को हँसी-ख़ुशी

    हमने आजीवन अपने रिश्ते पर लगाए कयास

    बिछड़ने के, मिलने से भी ज़्यादा किए प्रयास

    हमने प्रेम के नफे-नुकसान की संधि लिखी

    विच्छेद उभारकर कहानी की हर दूसरी पंक्ति लिखी

    हमारे प्रेम में गोपनीयता की वजह नहीं थी

    हमारे प्रेम के लिए संसार में जगह नहीं थी

    नदी में फेंके मन्न्नती सिक्के खोज पाया गोताख़ोर

    उन्हें अँधेर पानी की काई, तली की गहराई भा गई,

    जिन चादरों को पीर मज़ारों पर चढ़ा कर आए थे

    थामकर एक दूसरे का हाथ कभी,

    वह हमारी प्रेम कहानी की क़ब्र पर कफ़न बन छा गई

    मैं सिरे जोड़ने और धागा बाँधने में, चूकती रही थी सदा

    मेरा अपराध सिर्फ़ प्रेम था, जिसकी मिली फिर सज़ा

    पहली बारिश में हरी हुई,

    दूब घास की तरह पनपा हमारा प्यार

    तूफ़ान में ख़त्म हुई,

    फ़सल की तरह बर्बाद हुआ

    तुम्हारा साथ मेरी वह खोई हुई किताब है

    जिसका शब्द-शब्द याद होते हुए भी

    मैंने उसे खोजना नहीं छोड़ा

    तुम्हारा इंतज़ार करते करते दुख गई हैं

    मेरी आत्मा की पिंडलियाँ

    मेरी आँख में मर गए हैं कितने मौसम

    मेरे जिस्म से कतरा-कतरा उड़ रही है ख़ुशियाँ

    ज़िंदगी अब क्यों ही सितम ढाए

    मन अब क्यों ही संताप मनाए,

    ये क्या कम पीड़ादायी नहीं था?

    कि मैनें, ईश्वर की नाराज़गी

    और तुम्हारे अबोलेपन का

    साथ-साथ निर्वाह किया!

    स्रोत :
    • रचनाकार : बबली गुज्जर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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