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नया वर्ष

naya warsh

अनिल जनविजय

अनिल जनविजय

नया वर्ष

अनिल जनविजय

और अधिकअनिल जनविजय

    नया वर्ष

    संगीत की बहती नदी हो

    गेहूँ की बाली दूध से भरी हो

    अमरूद की टहनी फूलों से लदी हो

    खेलते हुए बच्चों की किलकारी हो नया वर्ष

    नया वर्ष

    सुबह का उगता सूरज हो

    हर्षोल्लास में चहकता पाखी

    नन्हें बच्चों की पाठशाला हो

    निराला-नागार्जुन की कविता

    नया वर्ष

    चकनाचूर होता हिमखंड हो

    धरती पर जीवन अनंत हो

    रक्तस्नात भीषण दिनों के बाद

    हर कोंपल, हर कली पर छाया वसंत हो

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनिल जनविजय
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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