Font by Mehr Nastaliq Web

संगतकार

sa.ngatkaar

मंगलेश डबराल

मंगलेश डबराल

संगतकार

मंगलेश डबराल

और अधिकमंगलेश डबराल

    नोट

    प्रस्तुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा दसवीं के पाठ्यक्रम में शामिल है।

    मुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्वर का साथ देती

    वह आवाज़ सुंदर कमज़ोर काँपती हुई थी

    वह मुख्य गायक का छोटा भाई है

    या उसका शिष्य

    या पैदल चलकर सीखने आने वाला दूर का कोई रिश्तेदार

    मुख्य गायक की गरज में

    वह अपनी गूँज मिलाता आया है प्राचीन काल से

    गायक जब अंतरे की जटिल तानों के जंगल में

    खो चुका होता है

    या अपने ही सरगम को लाँघकर

    चला जाता है भटकता हुआ एक अनहद में

    तब संगतकार ही स्थाई को सँभाले रहता है

    जैसे समेटता हो मुख्य गायक का पीछे छूटा हुआ सामान

    जैसे उसे याद दिलाता हो उसका बचपन

    जब वह नौसिखिया था

    तारसप्तक में जब बैठने लगता है उसका गला

    प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ

    आवाज़ से राख जैसा कुछ गिरता हुआ

    तभी मुख्य गायक हो ढाढ़स बंधाता

    कहीं से चला आता है संगतकार का स्वर

    कभी-कभी वह यों ही दे देता है उसका साथ

    यह बताने के लिए कि वह अकेला नहीं है

    और यह कि फिर से गाया जा सकता है

    गाया जा चुका राग

    और उसकी आवाज़ में जो एक हिचक साफ़ सुनाई देती है

    यों अपने स्वर को ऊँचा उठाने की जो कोशिश है

    उसे विफलता नहीं

    उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।

    वीडियो
    This video is playing from YouTube

    Videos
    This video is playing from YouTube

    मंगलेश डबराल

    मंगलेश डबराल

    मंगलेश डबराल

    मंगलेश डबराल

    स्रोत :
    • पुस्तक : क्षितिज (भाग-2) (पृष्ठ 37)
    • रचनाकार : मंगलेश डबराल
    • प्रकाशन : एन.सी. ई.आर.टी
    • संस्करण : 2022

    यह पाठ नीचे दिए गये संग्रह में भी शामिल है

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए