मेरे लोग
सब ग़रीब लोग थे
उनमें से कुछ जीवित बच गए
मेरी आँखों में झाँकने
और मेरी उँगली छूने के लिए
और कुछ नहीं बच सके
वे मर गए बुख़ार, भुखमरी
या चेहरे में धँसी गोली से
वे मर गए ख़ुद को दिलासा देते हुए
कि उनकी मौत के बदले जन्म हुआ
मेरा या किसी और बच्चे का
ऐसी ही कुछ कहानियाँ सुनाते हैं
ग़रीब लोग सांत्वना के तौर पर
इसी तरह वे जुटाते हैं ताक़त
अपनी क़ब्र से रेंगकर निकलने की
उन सभी में पर्याप्त ताक़त नहीं थी
लेकिन कुछ में थी ज़रूर
इसीलिए मैं यहाँ हूँ
और तुम पढ़ रहे हो
उनके बारे में कविता यह
क्या था उनका शक्ति स्रोत?
शक्ति शायद उन लोगों की आत्मा में थी
वे लोग सिफ़र से शुरुआत करते हैं
और सिफ़र पर अंत होता है उनका
होती है जीवन यात्रा उनकी
एक सिफ़र से दूसरे सिफ़र की
वे डटे रहते हैं
बर्फ़ और दुःख के आतंक के बावजूद
बने रहते हैं बारिश में
जब तक कि कोई घोंप नहीं देता
उनके पेट में संगीन
जब तक कोई बीमारी
उन्हें जकड़ नहीं लेती
वे चलते रहते हैं
भले ही सीढ़ी में फट्टे न हों
भले कोई सीढ़ी ही न हो।
- रचनाकार : जॉन गुज़लॉव्स्की
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए अनुवादक द्वारा चयनित
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