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नई यात्रा

nai yatra

मोतीलाल साक़ी

मोतीलाल साक़ी

नई यात्रा

मोतीलाल साक़ी

निकल पड़ा है यात्रा पर यात्री

ख़ाली हाथ

नहीं पीछे उसके कोई जिसे हो उसकी प्रतीक्षा

आगे कोई शुभचिंतक जो उसके नखरे उठा ले

वह गिरा है नभ से कोई तारा जैसे

अकेला थका-हारा, बेचारा

घसीटे जा रहा ख़ुद को कि पाए लक्ष्य कोई

कोई ऐसा गाँव याद नहीं उसे कि जहाँ उसे पहुँचना है

वह यह सोचकर चढ़ता है पर्वत शिखर पर कि मैं

ज़रा सुस्ता के आगे चलूँगा

और दूसरी चोटी से उतरता यह सोचकर

करूँगा विश्राम इस दुनिया में थोड़ा

यदि चले उस गाँव के बाहर बाहर वह तो

कई कुत्ते पड़ेंगे टूट उस पर

नगर में छेड़ते हैं लोग, उसको हैं चिढ़ाते

चले जो हरियर वन में तो रोके हैं काँटे, मुँह बा कर खड़े होते

सुना उसने नहीं कहीं परियों का गायन

देखीं अप्सराएँ घूमती नदी के किनारों पर

भरमाया देवताओं ने भी उसको

मगर वह चलता ही रहा लगातार चलता रहा वह

तो शून्य छान मारा और जब थक-हार कर बैठा

तो रेत पर लेट गया था, रेत तंदूर बन गई थी

उसने नज़रें घुमाकर देखा और वह नभ को ताकने लगा

वह सब से है वहीं, तना खड़ा है

उसकी साँसें चल रही हैं पर वह हिलता-डुलता नहीं

जो देखा लोगों ने तो बोले कि यह कोई ऋषि है जो तपोलीन है

लोगों ने यहाँ चढ़ाईं सोने की ईंटें, मंदिर बनाया

अब वहाँ आते हैं काफ़ी लोग प्रतिदिन अनायास

वहीं करते हैं योगी अब तपस्या

भागे चले आते हैं शांति के लिए सब

दुःखी और पीड़ित लोग सारे।

स्रोत :
  • पुस्तक : उजला राजमार्ग (पृष्ठ 115)
  • संपादक : रतनलाल शांत
  • रचनाकार : मोतीलाल साक़ी
  • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
  • संस्करण : 2005
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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