नदी एक नौजवान ढीठ लड़की है
nadi ek naujawan Dheeth laDki hai
नदी एक नौजवान ढीठ लड़की है
जो पहाड़ से मैदान में आई है
जिसकी जाँघ खुली
और हंसों से भरी है
जिसने बला की सुंदरता पाई है!
पेड़ हैं कि इसके पास ही रहते हैं,
झुकते, झूमते, चूमते ही रहते हैं
जैसे बड़े मस्त नौजवान लड़के हैं!
नदी म्यान से खिंची एक तलवार है
जो मैदान में लगातार चलती है
जिसकी धार तेज़
और बिजली से भरी है
जिसने बला की चंचलता पाई है!
कूल हैं कि इसको पास ही रखते हैं
जी-जान से इसे प्यार ही करते हैं
जैसे बड़े कुशल समर-शूर सैनिक हैं!
- पुस्तक : चुनी हुई कविताएँ (पृष्ठ 24)
- संपादक : नरेंद्र पुंडरीक
- रचनाकार : केदारनाथ अग्रवाल
- प्रकाशन : अनामिका प्रकाशन
- संस्करण : 2011
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