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यमदूत ढूँढ़ रहे हैं माँ को

yamdut DhoonDh rahe hain man ko

विश्वनाथ प्रसाद तिवारी

विश्वनाथ प्रसाद तिवारी

यमदूत ढूँढ़ रहे हैं माँ को

विश्वनाथ प्रसाद तिवारी

और अधिकविश्वनाथ प्रसाद तिवारी

    माँ की चारपाई के पास

    दिखती हैं काली छायाएँ

    यमदूत ढूँढ़ रहे हैं माँ को

    उसने चार पैरों के एक नन्हे से जानवर को

    खड़ा किया है रीढ़ पर

    आज़ाद किए हैं उसके हाथ

    निविड़ अंधकार में दिया है उसे

    आखर अनंत

    वह मृत्युलोक के

    सबसे बड़े षड्यंत्र में हिस्सेदार है

    यमदूत ढूँढ़ रहे हैं माँ को

    उसने चुनौती दी है

    ब्रह्मा को विष्णु को महेश को

    रचा है एक प्रतिरूप

    सृष्टि की सबसे बड़ी मुश्किल को

    आसान बनाया है

    आसान को बनाया है

    सबसे बड़ी मुश्किल

    यमदूत ढूँढ़ रहे हैं माँ को।

    स्रोत :
    • पुस्तक : आखर अनंत (पृष्ठ 29)
    • रचनाकार : विश्वनाथ प्रसाद तिवारी
    • प्रकाशन : राधाकृष्ण प्रकाशन
    • संस्करण : 1991

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