आत्मालाप : कलाओं का शोक और शोक की कला
atmalap ha kalaon ka shok aur shok ki kala
बाबुषा कोहली
Babusha Kohli
आत्मालाप : कलाओं का शोक और शोक की कला
atmalap ha kalaon ka shok aur shok ki kala
Babusha Kohli
बाबुषा कोहली
और अधिकबाबुषा कोहली
पूर्वी के संग के प्रति सस्नेह,
जॉर्ज माइकल के गीतों के प्रति सादर।
उन दिनों दुःख और पश्चात्ताप का मासूम देवता था जॉर्ज माइकल
अपने वॉकमैन से गिटार के नोट्स बीनते
मैं सोचती
क्या सचमुच इतना पवित्र हो सकता है किसी का दुःख?
सी शार्प की शार्पनेस
जॉर्ज के दुःख के तीखेपन के बिना कितनी फीकी है
उन दिनों एयर गिटार बना कर पूरे कॉरिडोर में परफ़ॉर्म करती थी
देयर इज़ नो कम्फ़र्ट इन द ट्रुथ
पेन इज़ ऑल यू'ल फ़ाइंड
पूर्वी तंज़ से कहती,
दुःख नहीं तो दुःख का ड्रामा सही?
पूरी ज़िंदगी ही किसी अंजाने शेक्सपियर का लिखा ड्रामा है, झुम्मा! दुःख और छल का ऐसा खेल जिसमें यह तसल्ली शामिल है कि आख़िर में पर्दा गिर जाएगा।”
अपने फ़लसफ़े से झाड़ देती तंज़ उसके
उसकी आँखों पर पड़ा पर्दा उठा देती
एक दिन
चंद्रमा को धनुष बना तान दूँगी तीर
अपने हर्फ़ों से बेध दूँगी
वक़्त का कलेजा, झुम्मा!
नदी को जॉर्ज का गिटार कर दूँगी
तट के कोलाहल से चुन लूँगी धुन
बिखरी लहरों पर रिबन की तरह बाँधूँगी गीत
समंदर के काँधों पर लहरें खोल दूँगी
ये जो मेरे दुपट्टे में बबलगम की तरह
उस इकतरफ़ा आशिक़ का दिल चिपका हुआ है न
उसकी आह का भी असर होगा किसी दिन
इस संसार में सब कुछ लौट-लौट आता है
दरिया से उठती हैं धुआँ-धुआँ बूँदें, बारिश बन लौट आती हैं
खेतों में उगती है फ़सलें, बीज हो कर लौट आती हैं
चिड़िया छोड़ देती हैं घोंसला, आकाश छू लौट आती है
एक ट्रेन छोड़ती है मेरा शहर रात आठ चालीस पर
ठहरती है एक दिन उसके शहर
अगले दिन लौट आती है
मेरा इकतरफ़ा राग उसके बाएँ कान को छू कर लौट आता है
देखना!
जॉर्ज और मैं एक साथ
एक लय और एक-सी पवित्रता के उजाले में गुनगुनाएँगे किसी दिन—
आय'म नेवा गोन्ना डांस अगेन!
पिघल रही है मेरी आवाज़ की बर्फ़
आँखों में पानी बन लौट आती है
बीते किसी दिसंबर पूर्वी ने इटली से लिखा :
यहाँ बर्फ़ पड़ रही है
और जाने क्यों ऐसा लगता है
कि तुम इन दिनों 'केयरलेस व्हिस्पर' गा रही हो
जॉर्ज की मृत्यु के दिन तुम्हें याद करती रही
पूर्वी को उत्तर कम लिखे मैंने
आप किसी ऐसे को कम उत्तर लिख पाते हैं
जिसके सामने पहले ही आपका प्रश्नपत्र लीक हो चुका हो
कुछ दिनों बाद उसने लिखा :
जॉर्ज को भी किताबें लिखनी थीं।
परदेस से लौट कर उसने फिर लिखा :
जॉर्ज को भी फ़िल्में बनानी थीं
है न?
मैंने उसे जो लिखा वह उत्तर नहीं था
चंद्रमा और नदी की जुगलबंदी में
अपने बेसुरे गीतों के पिट जाने की ख़बर थी
झुम्मा!
एक बार गिटार सीखने गई थी 'सिक्स स्ट्रिंग्स क्लासेज़'
उँगलियाँ छिल गईं लौट आई दो दिनों में
लिखते हुए जाना
कि कविता लिखना भी काग़ज़ पर गिटार बजाना ही है
इटली में जब बर्फ़बारी हो रही थी
बर्फ़ की सिल्ली हो चुके अपने मन पर रखा था मैंने
अपना ही शव पहली बार
मेरे पहले ही अंतिम संस्कार में टूट गए थे जॉर्ज के गिटार के तार, झुम्मा!
फिर किसी ने फूँक मार मिट्टी में जान भर दी
दिल मेरा उसने दिल की जगह पर नहीं लगाया
दिल को बबलगम कर बालों में उलझा दिया है
वह जानता है बाल मेरे सीधे हैं रेशम की माफ़िक़
खिंचते हैं बाल मेरे टूटते हैं
दुःख का बड़ा अश्लील कारोबार है जॉर्ज से ले कर बाबुषा तक
इन दिनों बाल नहीं काढ़ती हूँ
फ़िल्में बनाती हूँ इन दिनों
मेरी फ़िल्मों में स्टार नहीं मिलते
जो किसी फ़लसफ़े से बुहारे न जा सकें
मेरी फ़िल्मों में गिटार के टूटे हुए तार और
टूटे हुए बाल मिलते हैं
- रचनाकार : बाबुषा कोहली
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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