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मृतक के लिए प्रार्थना

mritak ke liye pararthna

सर्गेई येसेनिन

सर्गेई येसेनिन

मृतक के लिए प्रार्थना

सर्गेई येसेनिन

और अधिकसर्गेई येसेनिन

    (एक अंश)

    बिगुल बज रहा, अनिष्टकारी बिगुल बज रहा,

    हम क्या करें, बताओ, हम क्या कर सकते हैं

    कीचड़ सनी हुई कूल्हों-सी इन सड़कों पर?

    समय गया, छोड़ें अब हम भौंदूपन का भाव-प्रदर्शन,

    चाहो या ना चाहो, आगे बढ़ो, सीखना, होगा अब तो सीखो,

    अच्छा है, इस समय झुटपुटा चिढ़ा रहा है अब मुँह तुमको

    और भोर की झाड़ू अब हो गई उधर लोहू से तर

    मार तुम्हारी बड़ी मुटल्ली पैंदी पर बरसा-बरसाकर।

    जल्दी ही यह हलका पाला रँग जाएगा झक सफ़ेद चूने के रंग से,

    यह छोटा-सा गाँव और ये चारागाहें हैं इस ढंग से,

    जहाँ नहीं हम छिप सकते हैं कभी काल की दीठ बचाकर,

    और ही हम भाग सकेंगे किसी तरह अपने दुश्मन को पीठ दिखाकर,

    अब तो वह गया यहीं पर फैलाए लोहे का जबड़ा,

    पंजा फैला दिया, गला अब उसने मैदानों का पकड़ा।

    बूढ़ी चक्की खड़ी हुई है कान हिलाती,

    पिसे हुए आटे की गंधों की पहचानें-सी पैनाती,

    पिछवाड़े ख़ामोश खड़ा जो बैल हमारा,

    जिसने सारा प्रेमभाव बछड़ों पर वारा,

    जीभ साफ़ करता खूँटे से रगड़-रगड़कर,

    भाँप रहा दु:ख की आँधी आती खेतों पर।

    आह, गाँव की सीमा के बाहर क्या इस ही कारण

    रोता दुखियारा अकार्डियन,

    ट—ला—ला—ला ... टिली—ली—गुम,

    खिड़की की सफ़ेद देहरी पर घुमड़ रही धुन,

    और शीत की झंझा पीली,

    क्या नहीं इसलिए धारण करती है आभ लाल-नीली,

    और शुरू होता मेपल के पत्ते झरना,

    जैसे तेज़ कतरनी से घोड़ों के बाल उतरना?

    आता है, लो आता है वह दूत भयंकर,

    झाड़ियाँ और झंखाड़ रौंदता लौह चरण धर,

    और मेंढ़कों की टर-टर धुन पर,

    पहले से भी अधिक थके हो उठते गीतों के स्वर

    विद्युत युग की भोर,

    चिमनियों और चक्कों की घातक जकड़न,

    ये झोपड़ियों के पेट बने लकड़ी के, जो करते चर-मर,

    काँप रहे हैं इस्पाती बुख़ार से थर-थर।

    क्या देखी है कभी ट्रेन वह,

    दौड़ लगाती है जो लोहे के पंजों पर दुस्सह,

    इन स्तपियों के पार कभी वह छिप जाती है,

    झील धुँध में, अपने इस्पाती नथुनों से

    धुआँ छोड़ती फुफुआती है।

    उसके पीछे ऊँची-ऊँची घास लाँघता,

    आता है वह टट्टू पतली टाँगों से फलाँगता,

    दौड़ लगाता बदहवास-सी किसी होड़ में,

    भाग ले रहा मानो वह आख़िरी दौड़ में।

    वह मूरख मदमाता,

    कहाँ जा रहा दौड़ लगाता?

    पता नहीं क्या उसे कि जीवित घोड़े सारे,

    उन लोहों के घोड़ों से हैं कब के हारे,

    पता नहीं क्या उसे कि इन बेरौनक़ मैदानों में दौड़ लगाकर,

    वापस ला सकेगा वे दिन,

    जब वे पेचेनेग लोग करते थे एक-एक घोड़े के बदले सौदा

    दो-दो रूसी सुंदरियों का।

    बदल गया है समय, हमारे नदी सरोवर,

    जाग गए हैं खनक धातुओं की सुनकर

    आज ख़रीदे जाते हैं रेलों के इंजन,

    घोड़ों का सैकड़ों-हज़ारों पूद गोश्त और चमड़ा देकर।

    अनचाहे मेहमान, भाड़ में जाएँ सारे नाज़ तुम्हारे!

    साथ देंगे कभी तुम्हारा गीत हमारे,

    काश, कभी तुम भी डूबे होते रस में अपने बचपन में,

    जैसे घड़ा कुएँ में डूब खींच लेता जल अपने अंदर,

    वे रह सकते हैं खड़े देखते इस दुनिया को तटस्थ बनकर

    टिन प्लेटों के चुंबन से अपने मुँह रँगकर।

    किंतु यहाँ पर मैं हूँ चारण और आज है मुझको गाना,

    अपनी इस प्रियतमा भूमि का गान सुहाना।

    कारण तो है यही कि इस निर्मला सितंबर में झर-झरकर,

    इस सूखी ठंडी चिकनी माटी पर

    टपकाता है लहू बेरियों से यह तरु रोवन

    लकड़ी के बाड़े से अपना सिर टकराकर।

    गहरी जड़ें जमाए बैठा दर्द इसी कारण

    उस धुन में जो गुँजा रहा है अकार्डियन,

    और सड़े भूसे से गँधियाता किसान

    गुमसुम बैठा धुत्त नशे में अपने आँगन!

    1. पेचेनेग : तुर्की मूल का प्राचीन क़बीला जो 9वीं से 11वीं सदी तक दक्षिण-पूर्वी यूरोप में घूमते-फिरते थे।

    2. पूद : 16 किलोग्राम के बराबर एक रूसी तौल।

    स्रोत :
    • पुस्तक : आधुनिक रूसी कविताएँ-1 (पृष्ठ 105)
    • संपादक : नामवर सिंह
    • रचनाकार : सर्गेई येसेनिन
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली
    • संस्करण : 1978
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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