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रात जब सो रही है

raat jab so rahi hai

चित्रा सिंह

चित्रा सिंह

रात जब सो रही है

चित्रा सिंह

और अधिकचित्रा सिंह

    रात जब सो रही है...

    गहरी नींद की गोद में...

    तारों से छुप-छुपाकर...

    चाँद की आत्मा कर जाती है प्रवेश

    तब नदी की देह में...

    सतह पर बैठकर पहरा देता है

    जल... उन मिलन के क्षणों का

    सूर्य देता है अर्घ्य किरणों से

    पवित्र नदी का ध्यान भंग करने

    उनके द्वारा की गई...

    सामूहिक प्रार्थनाओं का सच,

    केवल सुबह को पता होता है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : चित्रा सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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