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मोहम्मद अली

mohammad ali

देवी प्रसाद मिश्र

देवी प्रसाद मिश्र

मोहम्मद अली

देवी प्रसाद मिश्र

और अधिकदेवी प्रसाद मिश्र

    जैसे मोहम्मद अली ने कहा कि वह वियतनाम में युद्ध लड़ने नहीं जाएगा

    मैं भी कहता रहा कि मध्यवर्गीय महत्वाकांक्षा का फ़िदायीन नहीं हूँ मैं

    मोहम्मद अली को जेल में डाल दिया गया मैं भटकता रहा

    भारतीय अर्थ और समाज के खुले जेल में ढहते हुए शहरों के काले पानी में

    मोहम्मद अली की तरह बारह साल की उम्र में मैंने लड़ना सीख लिया था

    कविता मेरी मुक्केबाज़ी थी

    जैसा कि मोहम्मद अली ने एक कवि की तरह कहा कि वह तितली की तरह उड़ता था और मधुमक्खी की तरह डंक मारता था मैं भी घायल रुआँसा और कटखना था मोहम्मद अली की तरह मार खाता कभी-कभी जीतता मेरा चेहरा पेंटरो, पीला और नीला था और आत्मा का रंग क्या बता सकूँ जो शहरों में पता नहीं किस कबाड़ में कहाँ किस अँधेरे में खो जाती थी

    सई के तट पर या यमुना और गंगा के मैदानों में मैं विकल था

    कि अपनी अद्वितीयता का भार उठाए नहीं उठता था

    आटे की बोरी की तरह अपने होने का आह्लाद कंधे तोड़ देता था

    तो घिरे हुए मोहम्मद अली-सा मैं कह पड़ता था कि मैं हूँ महानतम

    अपनी गरिमा के सन्नाटे में जैसे हर कोई कहता है

    कि मैं हूँ महानतम कहना भी चाहिए कि I AM THE GREATEST

    मोहम्मद अली के कहने की तरह कि मैं हूँ अमेरिका

    मैं भी कहता रहा कि मैं हूँ हिंदुस्तान

    अपने निर्वासन और बहिष्कार के विषम में।

    स्रोत :
    • रचनाकार : देवी प्रसाद मिश्र
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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