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मेरे आगमन के बाजे बज रहे हैं

mere agaman ke baje baj rahe hain

नवीन सागर

नवीन सागर

मेरे आगमन के बाजे बज रहे हैं

नवीन सागर

और अधिकनवीन सागर

    मुद्दत से एक पेड़ के नीचे

    जाने के लिए चल रहा हूँ

    यह ऐसा है चलना मेरा

    पेड़ अगर नहीं चला

    पेड़ से दूरी मेरी कम नहीं होगी!

    समय मुझे चीरता

    चीरता जा रहा है

    मैं चल रहा हूँ

    मेरी परछाईं छपी है स्याह

    एक दरवाज़े पर

    पेड़ की तरफ़ इस तरह चलता हुआ

    मैं चल रहा हूँ

    जहाँ पेड़ खड़ा है वहाँ

    हरे घनेरे में डूबा

    धरती का बूढ़ा चेहरा

    काँपता मुझे देखता रुका है

    आसमान में

    मेरे आगमन के बाजे बज रहे हैं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : जब ख़ुद नहीं था (पृष्ठ 29)
    • रचनाकार : नवीन सागर
    • प्रकाशन : कवि प्रकाशन
    • संस्करण : 2001

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