मेरा छंद अगर तुलसी की चौपाई हो जाए
mera chhand agar tulsi ki chaupai ho jaye
कृष्ण मुरारी पहारिया
Krishna Murari Pahariya
मेरा छंद अगर तुलसी की चौपाई हो जाए
mera chhand agar tulsi ki chaupai ho jaye
Krishna Murari Pahariya
कृष्ण मुरारी पहारिया
और अधिककृष्ण मुरारी पहारिया
मेरा छंद अगर तुलसी की चौपाई हो जाए
भूखा-प्यासा कंठ तुम्हारा तन्मय हो दुहराए
केवल छंद नहीं, मेरा यह चिंतन और मनन भी
रुचि, संग्रह, विश्वास, प्रीति, फिर श्रद्धा और नमन भी
तुलसी का अनुगमन करे, तुलसी हों मेरे नायक
पूरी हो कामना गुसाईं जी समझें यदि लायक़
देशकाल की सोई सीता आकर राम जगाए
या तुलसी मुझमें पैठों, या मैं तुलसी हो जाऊँ
केन नदी के तट पर जग की रामकथा मैं गाऊँ
श्रमजीवी हों राम कथानक के, परजीवी रावण
रावण यदि सत्ता के रथ पर, राम लड़ें निर्वाहन
अपनी ही आँखों के आगे रावण-वध हो जाए
- पुस्तक : यह कैसी दुर्धर्ष चेतना (पृष्ठ 73)
- रचनाकार : कृष्ण मुरारी पहारिया
- प्रकाशन : दर्पण प्रकाशन
- संस्करण : 1998
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