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मज़दूर निहार रहे थे

mazdur nihar rahe the

खेमकरण ‘सोमन’

खेमकरण ‘सोमन’

मज़दूर निहार रहे थे

खेमकरण ‘सोमन’

और अधिकखेमकरण ‘सोमन’

    उस दिन

    मज़दूर निहार रहे थे अपनी पत्नियों को

    पत्नियाँ समझ नहीं पाईं

    आज इनको ये क्या हुआ

    उस दिन

    मज़दूर निहार रहे थे

    छोटी-जवान होती अपनी लड़कियों को

    लड़कियाँ भी समझ पाईं

    पिताओं को आज ये क्या हुआ

    समझ पाए मज़दूरों के लड़के भी कुछ

    मज़दूर निहार रहे थे जब उन्हें

    उस दिन

    मज़दूर निहार रहे थे

    घरों में जरूरी सामान, खाने-पीने की चीज़ें

    राशन कपड़े लत्ते बर्तन आदि

    निहार रहे थे मज़दूर

    दिवंगत माताओं-पिताओं की फोटो

    निहार रहे थे मज़दूर

    ग्रुप फोटो में ख़ुद की फ़ोटो

    परिवार में प्रत्येक सदस्यों की फोटो

    निहार रहे थे मज़दूर सबको

    उस दिन

    जाने लगे मज़दूर जब काम पर

    तो आँगन में पहुँच निहारने लगे रूककर

    अपने घर मकान आँगन पेड़

    निहारने लगे हाथों में पकड़े खाना

    उस दिन

    मज़दूर समझ नहीं पा रहे थे

    आज हमें ये क्या हुआ

    या क्या होने वाला है आज

    उस दिन

    औद्योगिक इलाके में

    आठ मंजिला जर्जर इमारत गिरी,

    उस दिन गिर गए

    सैकड़ों मज़दूर भी लाश बनकर।

    स्रोत :
    • रचनाकार : खेमकरण ‘सोमन’
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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