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संभवामि

sambhvami

अरुणाभ सौरभ

अन्य

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अरुणाभ सौरभ

संभवामि

अरुणाभ सौरभ

और अधिकअरुणाभ सौरभ

    रंग-रूप बदलि-बदलि

    बहरूपिया जकाँ भागैत

    नटुआ जकाँ नचैतरहल जिनगी

    पापक पोटरी काँखमे दबायल

    मारल-मोचारल

    पुण्यक गुणनफलकेँ सैइहारैत

    चकचक कागतपर करिया आखर सन घिनायल

    मंगनीमे पड़ल कुकुरपेंचकेँ सेबैत

    अनहिसकाक भेटल वस्तुकेँ धारण करैत

     

    भोगि लेब, जीबि लेब आ रहि जेबाक

    सामर्थ्यक अनुरूप

    जमानाक संग जिनगी—

    चाह, शराब, सिकरेट, चून-तमाकूल

    भांगक गोला, चीलमक सोँट

     

    कुल मिलाकेँ ई जिनगी

    नशाक एक-एकटा वस्तुक विवरण थीक

    जिनगी बेर-बेर रूप बदलैत रहय

    मुदा एना तँ नहि कि

    अर्जुन वृहन्नला बनि

    नाचे-गान सिखाबैत रहय गांडीव त्यागि

    राजा विराटक रंग महलमे

    द्रौपदी सेविका बनि जाय

    कंक बनि धर्मराज द्यूतक्रीड़ामे संलग्न

    अज्ञातवासक पीड़ाकेँ आत्मसात करय सपरिवार

    लिप्सा अपन मकड़जाल पसारैत

    मनुक्खकेँ ओझराबैत रहय

    आ मनुक्ख बनल रहय

    प्राण सहित चाम-मासुक बिजूका

     

    खिखिरक बिलमे नुकायल

    चोरौका आदर्शमे घोसियायल रहय समाज

    दलगत गठबंधन जकाँ

    संवादहीनता

    पारिवारिक बिखराव केर

    मूल कारण भऽ जाय

     

    सभ मनुक्खक भीतर ढुकि जाय

    एकटा कसाय

    हँसैत रहय सायलॉक1

    2ग्रेटेनियो3, ब्रेसेनियो4, पोर्सिया5 नहि बचाबय

    एन्टेनियो6 केँ

    आ पाभरि-पाभरि मासु काटिकऽ

    रोजे निकालैत रहय

    ओहि मासुक कटानसँ उत्पन्न खाधिमे

    बज-बज करय पिल्लू

    कारी खटखट सड़लका पीज लऽ कऽ

    जीबैत मनुक्ख

    'चीरंजीवी' 'अक्षयवट' हेबाक

    अशेष आशीषक संगहि

    शहरक संग गामोमे

    तखन अपन फणपर टिकल पृथ्वीकेँ

    शेषनाग कियैक नहि

    बजारि कऽ घोसारि कऽ फेकि दैत छैक

    बिलेतमे

    शास्त्रक, कथानुरूप कहिया अवतार लेतैक

    —कल्कि

    आ ककरा लेल

    जखन देवता, मनुक्ख आ राक्षस

    रातिमे संगे संग कुकर्म करऽ लेल जाइत छैक

     

    तखन कथामे सँ नाग बहराकऽ

    कियैक नहि अबैत छैक पृथ्वीपर

     

    कहिया समय-चक्र परिवर्तित हेतैक?

    कथामे सँ कहिया

    नाग निकलिकेँ धरतीपर एतैक

    आ देखबै जे

    कोना दुनियाक खंड-खंड

    दलमलित भऽ जेतैक?

    तखन अर्जुन जरूरे

    सामूहिक नृत्य करतैक

    गांडीव सबहक लेल अनिवार्य हेतैक

    मनुक्ख निर्णय केर क्रममे

    जिनगीक महाभारतमे

    संभवामि युगे-युगे

                       

    स्रोत :
    • पुस्तक : एतबे टा नहि (पृष्ठ 11)
    • रचनाकार : अरुणाभ सौरभ
    • प्रकाशन : नवारम्भ
    • संस्करण : 2017

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